भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के तालिबान सरकार के विदेश मंत्री से हुई ऐतिहासिक बैठक में सीमापार आतंकवाद (Cross-border Terrorism) के साझा खतरे का उल्लेख किया, जो कि स्पष्ट रूप से पाकिस्तान पर एक अप्रत्यक्ष टिप्पणी (veiled swipe) के रूप में देखी जा रही है। जयशंकर ने कहा, “माननीय, हमारे बीच विकास और समृद्धि के लिए साझा प्रतिबद्धता है; हालांकि, ये उन साझा खतरों से प्रभावित हैं, जो सीमापार आतंकवाद के रूप में दोनों देशों के सामने हैं। हमें आतंकवाद के हर रूप और अभिव्यक्ति से मुकाबले के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे। हम भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति आपकी संवेदनशीलता और एकजुटता की सराहना करते हैं।”
जयशंकर ने अफगानिस्तान के स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दोहराते हुए नई सहायता योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए, कोविड महामारी के दौरान हमारी मदद के अलावा, अब हम छह नई परियोजनाओं के लिए तैयार हैं, जिनकी घोषणा वार्ता के समापन के बाद की जाएगी।”
उन्होंने आगे कहा, “20 एंबुलेंस का उपहार हमारी शुभेच्छा का प्रतीक है। इनमें से पाँच एंबुलेंस मैं व्यक्तिगत रूप से आपको सौंपना चाहूंगा। इसके साथ ही भारत अफगान अस्पतालों को MRI और CT स्कैन मशीनें प्रदान करेगा, टीकाकरण हेतु वैक्सीन और कैंसर की दवाएं भेजेगा। हमने UNODC के माध्यम से ड्रग पुनर्वास सामग्री भी उपलब्ध कराई है।”
Opening remarks at my meeting with Afghan FM Muttaqi, in New Delhi.
https://t.co/incgPxvRnH— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 10, 2025
जयशंकर का सीमा पार आतंकवाद का साझा खतरा वाला बयान सीधे तौर पर पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क पर संकेत करने वाला है, जो अफगानिस्तान और भारत दोनों के लिए सुरक्षा चुनौती बना हुआ है। पाकिस्तान की सीमा से जुड़े आतंकी संगठन TTP (तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) और अन्य चरमपंथी समूह दोनों देशों की सुरक्षा पर प्रभाव डाल रहे हैं, वहीं गुरुवार की रात पाकिस्तानी सेना ने हवाई हमले करते हुए अफ़ग़निस्तान के काबुल शहर में बमबारी की है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान ने इन हमलों में पाकिस्तानी तालिबान (TTP) प्रमुख नूर वली महसूद की कार और गेस्टहाउस को निशाना बनाया।
यह मुलाकात तालिबान शासन के सत्ता में आने के बाद भारत और अफगानिस्तान के बीच पहली उच्च-स्तरीय राजनयिक वार्ता मानी जा रही है। भारत ने 2021 के बाद अफगानिस्तान में अपने राजनयिक संपर्कों को सीमित किया था, लेकिन अब जयशंकर की यह बैठक संबंधों के पुनर्निर्माण की दिशा में एक बड़ा संकेत है।
जयशंकर के इस संदेश से यह स्पष्ट होता है कि भारत, तालिबान के साथ संबंधों को व्यावहारिक कूटनीति (pragmatic diplomacy) के तहत आगे बढ़ा रहा है। लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए न हो।
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