नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को विस्तार देने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण पर सेबी ने गंभीर आरोप लगाया है। सेबी ने रामकृष्ण को लेकर कहा कि वह हिमालय पर रहने वाले एक योगी की कठपुतली के रूप में काम कर रहीं थीं। आरोप है कि चित्रा ने एक गुमनाम योगी के इशारे पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को लंबे समय तक चलाया।
एनएसई के पहले एमडी आरएच पाटिल, रवि नारायण और रामकृष्ण उस कोर टीम का हिस्सा थे, जिसने एनएसई को स्थापित किया। रवि नारायण का कार्यकाल पूरा होने के बाद रामकृष्ण को 1 अप्रैल 2013 से पांच वर्ष के लिए एनएसई के एमडी और सीईओ के रूप में चुना गया था। एनएसई पर नजर रखने वाले इस बात से सहमत हैं कि पाटिल और नारायण के साथ रामकृष्ण ने सेबी और सरकार के समर्थन से एनएसई को देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
11 फरवरी, 2022 को सेबी ने एनएसई और उसके पूर्व एमडी और सीईओ रामकृष्ण, नारायण और अन्य को समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार के रूप में आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति से संबंधित मामले में प्रतिभूति अनुबंध नियमों का उल्लंघन करने के लिए दंडित किया। नियामक ने रामकृष्णा पर 3 करोड़ रुपए, एनएसई, नारायण और सुब्रमण्यम पर 2-2 करोड़ रुपए और वीआर नरसिम्हन पर 6 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। नरसिम्हन मुख्य नियामक अधिकारी और मुख्य अनुपालन अधिकारी थे।
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