जोशीमठ की भूमि लगातार धंस रही है। अब तक यहां 678 मकानों में दरारें आ चुकी हैं। जोशीमठ में जिन होटलों और मकानों में अधिक दरारें हैं, उन्हें गिराने का काम आज से शुरू किया जाएगा। प्रशासन द्वारा असुरक्षित जोन घोषित क्षेत्रों को खाली करा लिया गया है। इन सब के बीच़़ बड़ा सवाल यह है कि इतने संवेदनशील क्षेत्र में इतनी बड़ी इमारत बनाने की इजाजत किसने दी और अब तक इस ओर सरकारी मशीनरी का ध्यान क्यों नहीं गया।
जोशीमठ में कुछ ही देर में होटलों को ढहाने की कार्रवाई होगी। प्रशासन लगातार जांच कर रहा है। कार्रवाई के लिए अभी केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के वैज्ञानिकों की टीम का इंतजार हो रहा है। वहीं सीबीआरआई की टीम ने सोमवार को मलारी इन और माउंट व्यू होटल का सर्वे किया था। आज इन दोनों होटलों से भवनों को ढहाने की शुरुआत होगी। क्योंकि इन होटलों को अत्यधिक क्षति पहुंची है।
सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने इसपर सुनवाई के लिए अब 16 जनवरी की अगली तारीख दी है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर मामले में शीर्ष अदालत आने की जरूरत नहीं है। इस पर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं काम कर रही हैं। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
वहीं याचिकाकर्ता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शीर्ष अदालत में अपील करते हुए कहा था कि मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता का कहना था कि जोशीमठ में आज जो भी हो रहा है वह खनन, बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का निर्माण और उसके लिए किए जा रहे ब्लास्ट के चलते हो रहा है। यह बड़ी आपदा का संकेत है।
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