नई दिल्ली में शुक्रवार (10 अक्तूबर) को अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और आश्वासन दिया कि अफगानिस्तान की जमीन किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने दी जाएगी। यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान ने अफगान सीमा के पास आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। मुत्ताकी का बयान पाकिस्तान के लिए एक सख्त संदेश माना जा रहा है।
मुत्ताकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सीमा के नजदीक दूरदराज के इलाकों में हमला हुआ है। हम पाकिस्तान के इस कदम को गलत मानते हैं। अफगानिस्तान ने 40 साल बाद शांति और तरक्की देखी है। अफगानों के साहस की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए। अगर कोई ऐसा करना चाहता है, तो उसे सोवियत संघ, अमेरिका और नाटो से पूछना चाहिए — वे समझा देंगे कि अफगानिस्तान के साथ खेलना अच्छा नहीं होता।”
यह बयान उस समय आया जब इस्लामाबाद ने दावा किया कि अफगान भूमि से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकवादी हमले कर रहे हैं और पाकिस्तान का “सब्र अब खत्म हो गया है।” अमीर खान मुत्ताकी की यह भारत की पहली आधिकारिक यात्रा है। नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में हुई उच्चस्तरीय बैठक में दोनों देशों ने सुरक्षा, विकास और मानवीय सहायता पर विस्तार से चर्चा की। बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऐलान किया कि भारत काबुल में अपना दूतावास दोबारा खोलने जा रहा है।
मुत्ताकी ने कहा, “हमने सुरक्षा सहयोग पर विस्तृत चर्चा की। अफगान भूमि किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होगी। दोनों पक्ष इस मुद्दे पर संपर्क में रहेंगे।” उन्होंने भारत के विकास परियोजनाओं को जारी रखने और व्यापार में रुकावटें दूर करने के लिए संयुक्त व्यापार समिति (Joint Trade Committee) बनाने की घोषणा की।
बैठक में जयशंकर ने साझा आतंकवाद के खतरे का उल्लेख करते हुए पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष निशाना साधा। उन्होंने कहा, “हम विकास और समृद्धि के प्रति प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सीमा पार आतंकवाद इस दिशा में सबसे बड़ी बाधा है। हमें आतंकवाद के हर रूप से लड़ने के लिए समन्वय बढ़ाना होगा।”
उन्होंने अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के प्रति भारत के समर्थन को दोहराया और कहा, “हम अपने तकनीकी मिशन को अपग्रेड कर काबुल में भारत के दूतावास के रूप में स्थापित करेंगे।” जयशंकर ने अफगानिस्तान के लिए नई मानवीय और स्वास्थ्य सहायता की घोषणा की, जिसमें छह नई परियोजनाएं, 20 एंबुलेंस, MRI और CT स्कैन मशीनें, टीके, कैंसर दवाएं, और ड्रग रिहैबिलिटेशन सहायता शामिल हैं। प्रतीकात्मक रूप से उन्होंने मुत्ताकी को पांच एंबुलेंस भी सौंपीं।
मुत्ताकी ने कहा, “अफगानिस्तान सभी देशों से मित्रतापूर्ण संबंध चाहता है और भारत के पास इस संबंध को आगे बढ़ाने का अच्छा अवसर है। शांति एकतरफा दृष्टिकोण से नहीं लाई जा सकती।” यह भारत और तालिबान के बीच 2021 के बाद पहली उच्चस्तरीय आधिकारिक बैठक है। भारत अब तक अफगानिस्तान में 3 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर चुका है और लगातार मानवीय सहायता प्रदान करता आ रहा है।
हालांकि भारत ने औपचारिक रूप से तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है, लेकिन यह बैठक इस बात का संकेत है कि नई दिल्ली अब सुरक्षा चिंताओं और क्षेत्रीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए नई रणनीतिक दिशा में आगे बढ़ रही है।
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