सूफी कशिश वारसी ने ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन डॉ. इमाम उमेर अहमद इलयासी के उस फतवे का समर्थन किया, जिसमें कहा गया है कि कोई भी इमाम भारत मे मारे गए किसी भी आतंकवादी के जनाजे की नमाज न पढ़े। अब भारतीय सूफी फाउंडेशन ने भी यही मांग दोहराई है।
सूफी कशिश वारसी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा, “आतंकवादियों की कोई बिरादरी नहीं होती। आतंकवादी जहां भी होता है, वो अपने समाज, अपनी बिरादरी, अपने मजहब के लिए बदनुमा दाग होता है। उसका कोई मजहब नहीं है। मौलाना इल्यासी ने जो ये फतवा दिया है, भारतीय सूफी फाउंडेशन इसका समर्थन करता है।”
उन्होंने आगे कहा, “इस्लाम कुर्बानी का मजहब है। कुर्बानी भी ऐसी, जो कर्बला में दी गई। ये वो लोग हैं, जिन्होंने मौला-ए-कायनात को शहीद कराया, जिन्होंने इमाम-ए-हसन को शहीद कराया, इमाम-ए-हुसैन को शहीद कराया।”
उन्होंने कहा कि मैं भारतीय सूफी फाउंडेशन की ओर से आतंकवाद फैलाने वालों के सामाजिक बहिष्कार का ऐलान करता हूं। साथ ही तमाम धर्मगुरुओं से कहता हूं कि आतंकवाद किसी भी धर्म में हो, उसके धर्मगुरुओं की तरफ से ये आवाज उठानी चाहिए कि हम ऐसे शख्स का सामाजिक बहिष्कार करें।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के मशहूर पर्यटन स्थल पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देते हुए पाकिस्तान में 100 से ज्यादा आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा था।
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