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Tuesday, June 24, 2025
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शीर्ष बैंकर्स ने वित्तीय समावेशन हेतु आरबीआई के प्रयासों की सराहना की!

बैंकर्स का कहना है कि आरबीआई के नीतिगत कदम से प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ऋण विस्तार के लिए आवश्यक प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।

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टॉप बैंकर्स ने शुक्रवार को रेपो दर को 0.50 प्रतिशत घटाकर 5.50 प्रतिशत करने और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में चार किस्तों में 100 आधार अंकों की कटौती के रिजर्व बैंक के फैसले की सराहना की।

बैंकर्स का कहना है कि आरबीआई के नीतिगत कदम से प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ऋण विस्तार के लिए आवश्यक प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।

इसके अलावा, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई के अनुमान को रिवाइज कर 3.7 प्रतिशत कर दिया गया है, जो आरबीआई के चार प्रतिशत लक्ष्य के अनुरूप है। यह संशोधन केंद्रीय बैंक के मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के प्रति विश्वास को दिखाता है।

इंडियन ओवरसीज बैंक के एमडी और सीईओ अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा, “सीआरआर में कटौती के फैसले से प्राइमरी लिक्विडिटी में 2.5 लाख करोड़ रुपए जारी होने की उम्मीद है, जो बैंकिंग सिस्टम में ऋण की स्थिति को आसान बनाएगा। वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी के 6.5 प्रतिशत रहने और स्थिर तिमाही ट्रेंड के अनुमान के साथ यह ओवरऑल नीति एक सुनियोजित और विचारशील अप्रोच को दर्शाती है।”

गैर-स्वर्ण आयात में तेजी और ग्रॉस एफडीआई में 14 प्रतिशत की वृद्धि भी मजबूत घरेलू मांग और देश के स्ट्रक्चरल स्ट्रेंथ में ग्लोबल निवेशकों के विश्वास का संकेत है।

बैंकर्स ने कहा कि ये कदम घरेलू मांग में पुनरुत्थान सुनिश्चित करेंगे, जो निजी खर्च के नेतृत्व में संचालित हो रहा है।

साउथ इंडियन बैंक के महाप्रबंधक और मुख्य वित्तीय अधिकारी विनोद फ्रांसिस ने कहा, “नीति से मुख्य सीख यह है कि केंद्रीय बैंक ‘महंगाई में स्थिरता’ सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। साथ ही विकास को समर्थन देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।”

उन्होंने कहा कि टैरिफ अनिश्चितता के कारण विदेशों से आने वाली मांग (निर्यात) पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में आरबीआई का घरेलू मांग को समर्थन देने और बैंकिंग क्षेत्र की ऋण देने की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना बैंक के नीति पथ को मजबूत बनाता है।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बाजारों को एक बड़े और चौंकाने वाले फैसले से आश्चर्यचकित किया है। यह स्पष्ट रूप से विकास को समर्थन देने के लिए आगे की कार्रवाई करने के दृष्टिकोण से आता है, जिसमें ट्रांसमिशन के प्रभावों को ध्यान में रखा गया है।

एसबीआई म्यूचुअल फंड के फिक्स्ड इनकम सीआईओ राजीव राधाकृष्ण के अनुसार, “आरबीआई के न्यूट्रल रुख को अपनाने का मतलब है कि नीतिगत दरें मौजूदा चक्र में 5.50 प्रतिशत पर स्थिर हो सकती हैं। हालांकि, यह एक गतिशील लक्ष्य बना रहेगा, क्योंकि वृद्धिशील डेटा पॉइंट्स परिणाम को आकार देने की संभावना रखते हैं।”

येस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा कि आरबीआई अब ट्रांसमिशन मैकेनिज्म पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो शुरू में धीमा रहा है और अभी भी क्रेडिट बाजारों के लिए महत्वपूर्ण रूप से दिखाई नहीं दे रहा है।

सीआरआर में कटौती बैंकिंग सिस्टम के लिए फंड की लागत में कमी सुनिश्चित करेगी, जिससे 100 बीपीएस रेपो दर में कमी का ट्रांसमिशन सुनिश्चित होगा।

पान ने कहा, “आगे बढ़ते हुए, हमें अभी भी लगता है कि अंतिम 25 आधार अंकों (0.25 प्रतिशत) की कटौती की संभावना है, लेकिन इसका समय अनिश्चित है।”

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