अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने अब तक “आठ युद्धों” को खत्म किया है और अब उनका अगला लक्ष्य है पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ता हुआ संघर्ष है। ट्रंप ने कहा कि वह इस मुद्दे को अपने दूसरे कार्यकाल के पहले साल के भीतर सुलझाना चाहते हैं, हालांकि इसके लिए उन्हें“इज़राइल और हमास का बीच शांति समझौता स्थापित कर लौटने तक इंतजार करना होगा।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव रविवार (12 अक्टूबर)को चरम पर पहुंच गया। पाकिस्तानी वायुसेना ने काबुल में हवाई हमले किए, जिसके जवाब में तालिबानी सेना ने डुरंड सीमा पर भारी गोलीबारी की। अफगान प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद के अनुसार, अफगान बलों ने 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया, जबकि पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने सीमा पर लगभग 19 अफगान पोस्टों पर नियंत्रण पा लिया है। दोनों देशों के बीच प्रमुख सीमा चौकियां बंद कर दी गईं, जिससे व्यापार और आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है।
इज़राइल की यात्रा के लिए रवाना होते समय पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा, “यह मेरा आठवां युद्ध होगा जिसे मैंने सुलझाया है, और अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच युद्ध चल रहा है। मेरे लौटने तक उन्हें इंतजार करना होगा। मैं एक और युद्ध सुलझा रहा हूं, क्योंकि मैं युद्ध सुलझाने में अच्छा हूं।”
उन्होंने आगे कहा कि वे कई लंबे समय से चले आ रहे संघर्षों को सुलझाने पर गर्व महसूस करते हैं, जिनमें भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद भी शामिल हैं। ट्रंप ने कहा, “सोचिए भारत, पाकिस्तान के बारे में। कई युद्ध 31, 32, और 37 साल से चल रहे थे, जिनमें लाखों लोग मारे गए। मैंने लगभग सभी को एक दिन में सुलझा दिया। यह काफी अच्छा है।”
ट्रंप ने अपनी शांति पहल को लेकर कहा,“यह मेरे लिए सम्मान की बात है। मैंने लाखों जानें बचाईं। नोबेल कमिटी के लिए यह 2024 का था, लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि 2025 में भी मैंने कई ऐसे काम किए जो अपवाद के योग्य हैं। पर मैंने यह नोबेल के लिए नहीं किया, बल्कि लोगों की जान बचाने के लिए किया।”
दरअसल बीते दिनों ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार की उम्मीदें टूट गईं और 2025 का शांति कायम करने के लिए नोबेल वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को दिया गया।
दौरान अफगानिस्तान-पाकिस्तान संघर्ष ने दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक अस्थिरता को और गहरा कर दिया है। क्षेत्रीय विशेषज्ञों के अनुसार, तालिबान शासन और पाकिस्तान के बीच सीमा पार हमलों और आतंकवादी ठिकानों के मुद्दे पर संबंध पिछले कुछ महीनों से बिगड़ते जा रहे हैं।
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