वाराणसी। वाराणसी पंचायत चुनाव में चार प्रत्याशी प्रधानी का चुनाव तो जीत गए पर जिंदगी की जंग हार गए. पर कुछ की सांसे परिणाम आने से पहले ही टूट गयीं तो किसी ने परिणाम सुनते ही प्राण त्याग दिए.मामला वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक, पिंडरा ब्लॉक और चोलापुर का है. चिरईगांव ब्लॉक के ग्राम पंचायत सृष्टि से ग्राम प्रधान पद के प्रत्याशी निर्मला की मौत काउंटिंग से पहले हो गई, लेकिन जब परिणाम आया तो उनकी जीत घोषित हुई. परिणाम सुनकर उनके परिजन और गांव के लोगों की ख़ुशी से चमकती आंख में आंसू आ गए, क्योंकि इस परिणाम का इंतजार सबसे ज्यादा निर्मला को था. लेकिन यह परिणाम आने से पहले ही जिंदगी ने उनका साथ छोड़ दिया.कुछ ऐसा ही मामला इसी ब्लॉक के ग्राम शिवदसा से धर्म देव यादव के साथ हुआ.
चिरईगांव ब्लॉक के गांव शिवदसा से धर्म देव यादव प्रधान के लिए विजयी घोषित हुए, जबकि उनका भी देहांत मतगणना से पहले हो गया था. यहां भी खुशी और गम का यही नजारा देखने को मिला। फिलहाल यह दोनों सीटें रिक्त रहेंगी.दूसरी ओर पिंडरा ब्लॉक के नंदापुर से घोषणा हुई कि सुनरा देवी ने कड़ी टक्कर देते हुए तीन वोटों से जीत दर्ज की. जीत की ख़ुशख़बरी देने के लिए बेटे अजय ने जब आईसीयू में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही सुनरा देवी को फ़ोन पर सूचना दी तो खबर पाकर सुनरा देवी की भी सांसे थम गयीं। ऐसा ही कुछ मामला चोलापुर विकासखंड के चुमकुनी गांव का रहा. यहां के रहने वाले अनिल कुमार सिंह की पत्नी वीणा सिंह छितमपुर गांव से ग्राम प्रधान निर्वाचित हुईं, लेकिन बीमारी के चलते 29 अप्रैल को उनकी मौत हो गई थी. निर्वाचित वीना सिंह का जीत का प्रमाण पत्र तो रखा हुआ है लेकिन उसको लेने के वीना नहीं है. हालांकि जीत के बाद प्रत्याशी की मौत होने पर सीट रिक्त हो गई है।
जेठानी ने देवरानी को दी मात
हाथरस. जिला पंचायत चुनाव में कुछ मुकाबले बड़े ही रोचक हैं. क्योंकि ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि इन्हीं वार्डों से विजयी प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष बनेगा. इसमें सबसे ज्यादा रोमांचक मुकाबला वार्ड नंबर 14 में रहा. यहां जेठानी सीमा उपाध्याय ने देवरानी रितु उपाध्याय को जिला पंचायत चुनाव में सियासी पटकनी दी है.इसी बीच मुकाबले को कुछ और प्रत्याशियों ने भी रोचक बना दिया. पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई थी है. निर्दलीय प्रत्याशी सीमा ने सभी प्रत्याशियों को मात देते हुए जीत हासिल की है. सबसे बड़ी बात तो यह रही कि भाजपा से समर्थित प्रत्याशी रितू उपाध्याय इस पूरे मुकाबले में 5वें स्थान पर आई हैं.
लाल जोड़े में ही जीत का सर्टिफिकेट लेने पहुंची नवविवाहिता
रामपुर में लाल जोड़े में ही जीत का सर्टिफिकेट लेने पहुंची नवविवाहिता: रजा लाइब्रेरी के लिए विख्यात रामपुर में उस समय हलचल मच गई जब लाल जोड़े में एक दुल्हन मतगणना स्थल पर पहुंच गई। ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने की सूचना पर वह विवाह के मंडप से सीधा मतगणना स्थल पहुंची। लाल जोड़े में आभूषणों से सजी-धजी दुल्हन मतगणना केंद्र पर पहुंच गई जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया लेकिन जब वहां पर लोगों को यह पता चला कि दुल्हन बीडीसी सदस्य के लिए चुनाव में खड़ी हुई थी और उसकी जीत हुई तब हर कोई उसकी किस्मत की दाद देने लगा।
प्रधान पद के लिए हाथी सिंह ने तोड़ा था ब्रह्मचर्य,फिर हारे
ग्राम पंचायत शिवपुर कर्ण छपरा के जितेंद्र सिंह उर्फ हाथी सिंह के घर पर भी दिखा. हाथी सिंह ने बलिया के विकासखंड मुरलीछपरा के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्म छपरा से प्रधान पद का चुनाव लड़ने के लिए शादी तक कर ली. जबकि उन्होंने पूरे जीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने की ठानी थी.जानकारी के अनुसार साल 2015 में भी हाथी सिंह ने प्रधानी का चुनाव लड़ा था और सिर्फ 57 वोटों से हार गए थे. इसके बाद भी वो लोगों की सेवा में लगे रहे. इस बार सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो गई. तो दोबारा हाथी सिंह का सपना टूट गया. इसपर हाथी सिंह के समर्थकों ने सुझाव दिया कि वो शादी कर लें और अपनी पत्नी को चुनाव में उतार दें.हाथी सिंह को ये बात समझ आ गई. उन्होंने इस पर अमल करने की ठान ली. 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करने के लिए उन्होंने पूरी तैयारी कर ली. इसके बाद पहले उन्होंने बिहार से कोर्ट मैरिज की. इसके बाद गांव के धर्मनाथ जी मंदिर में भी शादी कर ली. इस दौरान उन्होंने कोई मुहूर्त नहीं निकलवाया.
शादी के बाद उन्होंने पत्नी निधि के साथ मिलकर चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी. निधि ने भी प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी. लोगों ने भी नए जोड़े को खूब आशीर्वाद दिए और चुनाव में वोट देने का भी वादा किया. लेकिन कल नतीजे आए तो पूरी मेहनत पर पानी फिर गया. निधि 39 वोटों से हार गई. यहां से हरि सिंह की पत्नी सोनिका देवी को 564 वोट मिले हैं और उन्होंने चुनाव जीता है. वहीं हाथी सिंह की पत्नी निधि को 525 वोट मिले हैं।