यह मेला न सिर्फ उत्तर प्रदेश के शिल्पियों, कारीगरों एवं स्थानीय उद्यमियों को अपनी कला और उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मजबूत मंच प्रदान कर रहा है, बल्कि अन्य राज्यों से आए कलाकार भी अपनी कला के लोगों के सामने रख रहे हैं।
मेले में बिहार की मधुबनी पेंटिंग, तसर सिल्क, खादी कॉटन, और चंदेरी कपड़े जैसे पारंपरिक हस्तशिल्प और वस्त्र विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। मेले में शामिल मधुबनी कला से जुड़े कलाकारों ने मांग उठाई है कि सरकार ऐसे पारंपरिक उत्पादों पर लगने वाले जीएसटी को कम करे ताकि उन्हें बाजार में उचित दाम मिल सके।
उनका कहना है कि यदि सरकार वास्तव में इन हस्तशिल्पों को वैश्विक स्तर तक ले जाना चाहती है तो उन्हें विशेष पैकेज, सब्सिडी या कर छूट जैसी सुविधाएं दिए जाने की आवश्यकता है।
मेले में आने वाले आगंतुकों को पारंपरिक उत्पादों की खरीदारी के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आनंद लेने का भी अवसर मिलेगा। आने वाले दिनों में विभिन्न जनपदों के लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे।
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