भारत में डिजिटल भुगतान की बढ़ती स्वीकार्यता और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) की लोकप्रियता ने मार्च 2025 में एक नया रिकॉर्ड बनाया। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, इस महीने यूपीआई ट्रांजेक्शन की संख्या 13.59% बढ़कर 18.3 अरब हो गई, जो फरवरी में 16.11 अरब थी।
मार्च में यूपीआई के जरिए किए गए ट्रांजेक्शन का कुल मूल्य 24.77 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो फरवरी के 21.96 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 12.79% ज्यादा है। डिजिटल लेनदेन में यह उछाल भारत में तेजी से हो रहे कैशलेस ट्रांजेक्शन की ओर इशारा करता है।
एनपीसीआई के मुताबिक, यूपीआई के जरिए दैनिक औसत लेनदेन का मूल्य 79,910 करोड़ रुपये और संख्या 59 करोड़ से अधिक रही। यह क्रमशः 1.9% और 2.6% की वृद्धि को दर्शाता है।
हालांकि, मंगलवार(1 एप्रिल) को कई डिजिटल पेमेंट यूजर्स को यूपीआई से ट्रांजेक्शन करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। इस पर एनपीसीआई ने सफाई देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के समापन के कारण कुछ बैंकों को ट्रांजेक्शन प्रोसेस करने में दिक्कत आई।
एनपीसीआई ने बयान जारी कर कहा, “वित्त वर्ष के समापन के कारण कुछ बैंकों को यूपीआई ट्रांजेक्शन में दिक्कत हो रही है। हालांकि, यूपीआई सिस्टम सामान्य रूप से काम कर रहा है और हम इसे ठीक करने के लिए संबंधित बैंकों के साथ काम कर रहे हैं।”
1 अप्रैल से यूपीआई पेमेंट सिस्टम में बड़ा बदलाव लागू हो गया है। एनपीसीआई ने न्यूमेरिक यूपीआई आईडी सॉल्यूशन को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनका पालन यूपीआई मेंबर बैंक, यूपीआई ऐप्स और थर्ड पार्टी प्रोवाइडर्स को करना होगा। नए नियमों के तहत, अगर किसी यूजर का बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर लंबे समय से इनएक्टिव है, तो उसकी यूपीआई आईडी भी अनलिंक कर दी जाएगी। इससे यूपीआई सिस्टम में अधिक सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
सालाना आधार पर देखा जाए, तो मार्च 2024 की तुलना में इस साल मार्च में यूपीआई ट्रांजेक्शन मूल्य में 25% और संख्या में 36% की बढ़ोतरी हुई है। यह भारत में डिजिटल भुगतान क्रांति की मजबूत स्थिति को दर्शाता है। बढ़ते यूपीआई ट्रांजेक्शन और नए नियमों के साथ, भारत कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर और तेजी से बढ़ रहा है। क्या यूपीआई इस साल और नए रिकॉर्ड बनाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा!
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