अमेरिकी नागरिकता और आप्रवासन सेवा (USCIS) ने सोमवार (20 अक्तूबर)को जारी अपने नए दिशा-निर्देशों में स्पष्ट किया है कि प्रस्तावित $100,000 H-1B वीज़ा शुल्क हर किसी पर लागू नहीं होगा। इस फैसले से भारतीय छात्रों और पेशेवरों को बड़ी राहत मिली है, जो पहले इस भारी शुल्क को लेकर चिंतित थे। USCIS के अनुसार, यह शुल्क केवल उन नए H-1B वीज़ा आवेदकों पर लागू होगा जो संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर से आवेदन करेंगे। इसका मतलब है कि जो विदेशी नागरिक पहले से अमेरिका में रह रहे हैं, जैसे छात्र (F-1 वीज़ा धारक), या वे जो पहले से H-1B पर हैं और केवल “चेंज ऑफ स्टेटस” कर रहे हैं, उन्हें यह शुल्क नहीं देना होगा।
USCIS ने अपने बयान में कहा, “यह घोषणा उन लाभार्थियों की ओर से दायर की गई नई H-1B याचिकाओं पर लागू होती है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका से बाहर हैं और जिनके पास वैध H-1B वीज़ा नहीं है।” यह भी जोड़ा गया कि यह आदेश उन आवेदनों पर लागू नहीं होगा जो केवल अमेंडमेंट, एक्सटेंशन या स्टेटस बदलने के लिए दायर किए गए हैं। “यह उद्घोषणा उस याचिका पर भी लागू नहीं होती… जिसमें संशोधन, स्थिति में परिवर्तन, या संयुक्त राज्य अमेरिका के अंदर किसी विदेशी के लिए प्रवास की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया गया हो…”
इसका अर्थ है कि जो छात्र अमेरिका में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद F-1 से H-1B में बदलाव (Change of Status) कर रहे हैं, उन्हें यह $100,000 शुल्क नहीं देना होगा।
जो आवेदक अमेरिका के बाहर से नए H-1B वीज़ा के लिए आवेदन करेंगे, उन पर यह शुल्क लागू होगा। साथ ही, यदि कोई व्यक्ति अमेरिका से बाहर जाकर उसी स्वीकृत याचिका पर पुनः वीज़ा प्राप्त करने या प्रवेश करने की कोशिश करता है, तो वह भी इस शुल्क के दायरे में नहीं आएगा।
प्रवासी वकील डैन बर्जर ने Forbes से कहा,“इसमें कहा गया है कि यह शुल्क केवल संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर के लोगों के लिए दायर मामलों पर लागू होता है, इसलिए वे आ सकते हैं। नियोक्ता स्थिति में परिवर्तन करने को लेकर चिंतित थे, क्योंकि यदि वे यात्रा करते हैं तो 100,000 डॉलर का शुल्क लागू हो सकता है।”
USCIS ने यह भी बताया कि गृह सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम कुछ “असाधारण रूप से दुर्लभ परिस्थितियों” में इस शुल्क से छूट दे सकती हैं। यह छूट केवल तब दी जाएगी जब यह साबित हो कि विदेशी कर्मी की उपस्थिति अमेरिका के राष्ट्रीय हित में है, कोई अमेरिकी नागरिक उस भूमिका को नहीं भर सकता, और वह व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है।
आधिकारिक बयान में कहा गया कि यदि किसी कंपनी से यह भुगतान कराने से अमेरिका के हितों को नुकसान पहुंचता है, तो उस स्थिति में भी शुल्क से छूट दी जा सकती है। यह निर्णय विशेष रूप से उन भारतीय छात्रों और टेक सेक्टर के पेशेवरों के लिए राहत लेकर आया है जो अमेरिका में पढ़ाई या काम कर रहे हैं। अब उन्हें वीज़ा स्टेटस बदलने या एक्सटेंशन के लिए $100,000 का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।
H-1B वीज़ा पर चल रही बहस के बीच यह अपडेट एक अहम संकेत है कि अमेरिका अपनी आप्रवासन नीति में कुछ लचीलापन ला रहा है। खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं।
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