सोलह वर्षीय विवान कारुलकर, जिन्होंने “सनातन धर्म : ट्रू सोर्स ऑफ ऑल साइंसेज” नामक विज्ञान और अध्यात्म का संगम प्रस्तुत करने वाली पुस्तक लिखी, को नेहरू विज्ञान केंद्र और जेएसएस फाउंडेशन की ओर से ‘उदयोन्मुख वैज्ञानिक’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है जो विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं।
विवान को यह पुरस्कार रविवार, 8 जून को आयोजित समारोह में प्रदान किया गया, जहां उपस्थित लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका अभिनंदन किया। इतनी कम उम्र में इस विषय पर लिखी पुस्तक के लिए विवान की विशेष सराहना की गई।
विवान कारुलकर, प्रसिद्ध उद्योगपति और कारुळकर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रशांत कारुलकर एवं उपाध्यक्ष शीतल कारुलकर के सुपुत्र हैं। इस अवसर पर विज्ञान आधारित व्याख्यान, पर्यावरण व सामाजिक विषयों पर काव्य कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। कार्यक्रम विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
इसके अतिरिक्त, विवान की दूसरी पुस्तक “सनातन धर्म : ट्रू सोर्स ऑफ ऑल टेक्नोलॉजीस” भी प्रकाशित हो चुकी है, जो मराठी, हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती सहित कई भाषाओं में उपलब्ध है। इन पुस्तकों की सराहना देश-विदेश के विद्वानों व गणमान्य व्यक्तियों ने की है।
भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने इन पुस्तकों की प्रशंसा की है। इतना ही नहीं, प्रभु श्रीराम के अयोध्या मंदिर में भी इस पुस्तक की प्रति श्रीराम चरणों में अर्पित की गई है, जिसे श्री राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय ने सराहा है।
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