32 C
Mumbai
Wednesday, April 23, 2025
होमलाइफ़स्टाइलभारत के शहरों में घर का खाना बनता जा रहा है पुराना...

भारत के शहरों में घर का खाना बनता जा रहा है पुराना फैशन—पर क्यों?

आधुनिक जीवनशैली, फ़ूड ऐप्स और टाइम क्रंच ने बदल दी हमारी थाली की तस्वीर

Google News Follow

Related

कभी भारतीय परिवारों की पहचान माने जाने वाले घर के बने खाने की खुशबू अब धीरे-धीरे शहरों से गायब होती जा रही है। वर्क फ्रॉम होम हो या ऑफिस लाइफ, ऑनलाइन फ़ूड डिलीवरी और रेडी-टू-ईट मील्स के बढ़ते ट्रेंड ने रसोईघर को जैसे बीते ज़माने की चीज़ बना दिया है। खासकर मेट्रो शहरों में रहने वाले युवाओं और वर्किंग कपल्स के बीच अब किचन की जगह ‘क्लाउड किचन’ ने ले ली है।

गुरुग्राम, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों में रह रहे हज़ारों लोग अब खाना ऑर्डर करना ही अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा मान चुके हैं। वजह साफ़ है—तेज़ रफ्तार ज़िंदगी, लंबा ट्रैफिक टाइम, और थकावट भरा दिन। ऑफिस से लौटने के बाद या काम के बीच में खुद से कुछ पकाने का झंझट अब ‘गैरज़रूरी मेहनत’ की तरह देखा जाने लगा है।

हाल ही में किए गए एक सर्वे में सामने आया कि 68% शहरी युवा सप्ताह में कम से कम 3 बार खाना ऑर्डर करते हैं, और उनमें से 42% ऐसे हैं जो महीने में घर पर एक बार भी पूरा खाना नहीं बनाते। महिलाएं, जो पारंपरिक रूप से रसोई से जुड़ी मानी जाती थीं, अब जॉब्स और प्रोफेशनल ज़िम्मेदारियों के चलते किचन से दूरी बना रही हैं—और इसमें कोई बुराई भी नहीं मानी जा रही।

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइकोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. रेखा मेहरा कहती हैं, “यह सिर्फ़ सुविधा का मामला नहीं है, बल्कि सोच का भी बदलाव है। खाना अब ज़रूरत है, संस्कार या परिवार का आयोजन नहीं।”

घर के खाने को लेकर अब एक नया ‘कूल ट्रेंड’ बन चुका है—फूड व्लॉगिंग, आउटलेट रिव्यूज़, और ऐप बेस्ड ऑर्डरिंग। ज़ोमैटो, स्विगी, और तमाम लोकल क्लाउड किचन ब्रांड्स युवाओं को ‘ट्राय समथिंग न्यू’ का ऐसा लालच देते हैं, कि रोटी-सब्ज़ी से उनका ध्यान हट ही जाता है।

हालांकि इस बदलाव के अपने नुक़सान भी हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक़, रेगुलर फास्ट फूड और प्रोसेस्ड मील्स से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है—खासकर डाइजेस्टिव सिस्टम और लिवर पर। साथ ही, घर के खाने से मिलने वाला भावनात्मक जुड़ाव भी खो रहा है। खाने की खुशबू, मां के हाथ की दाल, या छुट्टियों में बनने वाले पकवान अब सिर्फ़ यादों में सीमित होते जा रहे हैं।

फिर सवाल उठता है—क्या घर का खाना वाकई पुराना फैशन बन गया है, या ये सिर्फ़ एक दौर है जो फिर बदलेगा? बहुत से लोग अब ‘होम कुकिंग क्लब्स’, ‘मील प्रेपिंग’ और ‘रेसिपी शॉर्ट्स’ के जरिए किचन की तरफ़ लौटने की कोशिश कर रहे हैं। शायद रफ्तार भरी इस दौड़ में कभी कोई थमता है, तो उसे फिर से घर के खाने की अहमियत याद आ जाती है।

यह भी पढ़ें:

भाजपा नेता के घर पर ग्रेनेड हमले पर भाजपा का कड़ा रुख, कहा – कानून व्यवस्था ध्वस्त!

पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी धोखाधड़ी के मामले में ED से गिरफ्तार !

दुबई के क्राउन प्रिंस की भारत में दो दिवसीय यात्रा पर, एयरपोर्ट पर दिया गार्ड ऑफ ऑनर!

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,127फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
243,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें