जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए इस्लामी आतंकी हमले ने भारत की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है। 28 निर्दोष पर्यटकों की हत्या और 20 से अधिक लोगों के घायल होने की इस वीभत्स घटना के बाद अब जो विवरण सामने आ रहे हैं, वे किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की आत्मा को हिला देने वाले हैं। चश्मदीदों के मुताबिक, हथियारों से लैस आतंकियों ने न केवल नाम पूछे, बल्कि पीड़ितों से जबरन कलमा पढ़ने को कहा। जो नहीं पढ़ सके, उन्हें मौके पर ही गोलियों से भून डाला गया।
इस पूरे नरसंहार को अंजाम देने से पहले आतंकियों ने कहा—”‘आतंकियों ने हमें प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर धमकाया और इसके बाद कहा कि तुम लोगों ने मोदी को सिर पर चढ़ा रखा है। उसकी वजह से हमारा मजहब खतरे में है।'” यह बात दिल्ली से पहलगाम कैंपिंग के लिए पहुंचे विकास शर्मा की आपबीती से सामने आई, जिन्होंने अपनी आंखों के सामने अपने दोस्त को गोली लगते देखा। विकास ने बताया कि आतंकी लोकल पुलिस की वर्दी में थे और मास्क लगाए हुए थे। उन्होंने खास तौर पर पुरुषों को और उनमें भी हिंदुओं को निशाना बनाया।
हमले की क्रूरता इसी से समझी जा सकती है कि आतंकियों ने यह सुनिश्चित किया कि सिर्फ उन्हीं को निशाना बनाया जाए जो उनकी धार्मिक कसौटी पर खरे नहीं उतरते। यह सुनियोजित नरसंहार था, जिसमें धार्मिक नफरत को केंद्र में रखकर निर्दोष पर्यटकों को मौत के घाट उतारा गया।
हमले के बाद सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है। 15 अहम पॉइंट्स पर सर्च ऑपरेशन चल रहा है, जिसमें ड्रोन, हेलिकॉप्टर और खोजी कुत्तों की मदद ली जा रही है। बैसरन घाटी, जो 1980 के दशक में फिल्मों की शूटिंग के लिए मशहूर रही है और हाल के वर्षों में पर्यटकों की पसंदीदा जगह बन चुकी थी, अब एक खौफनाक याद बन गई है। कश्मीर, जो वर्षों की हिंसा के बाद शांति की ओर लौटता दिखाई दे रहा था, फिर एक बार आतंक के साये में सिसक रहा है।
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