बरसात का मौसम जहां चारों ओर हरियाली और ताजगी लेकर आता है, वहीं यह फंगल और बैक्टीरियल संक्रमणों की संभावनाएं भी बढ़ा देता है। ऐसे समय में नीम एक प्राकृतिक औषधि के रूप में सामने आता है, जिसे आयुर्वेद में ‘सर्व रोग निवारिणी’ कहा गया है। इसके पत्ते, फूल, फल और यहां तक कि तना भी संपूर्ण शरीर की सुरक्षा के लिए उपयोगी सिद्ध होते हैं।
नीम में एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा संबंधी संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं। बरसात में नीम की पत्तियों से स्नान करना त्वचा को संक्रमण से बचाता है, वहीं इसका अर्क डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों में प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक है। नियमित सेवन से खून साफ होता है, चेहरे पर निखार आता है और मुंहासे, दाग-धब्बे आदि से छुटकारा मिलता है।
नीम के फूल और पत्तियां पेट के कीड़ों को खत्म करने में कारगर होती हैं। ये पाचन तंत्र को बेहतर बनाती हैं, जिससे कब्ज और अपच जैसी समस्याएं दूर होती हैं। उत्तर भारत में नीम के फूलों की भुजिया सरसों के तेल और जीरे की छौंक के साथ बनाई जाती है, जबकि दक्षिण भारत में इसे विभिन्न व्यंजनों में शामिल किया जाता है।
हाल ही में प्रकाशित टेलर एंड फ्रांसिस के जून 2024 के शोध पत्र के अनुसार, नीम के फूलों में मधुमेह और कैंसर रोधी गुण भी पाए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि नीम का इथेनॉलिक अर्क डायबिटीज और कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सबसे प्रभावी है। इसके फूलों का शरबत पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक है।
नीम का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाता है। गर्मी और बरसात के मौसम में इसका शरबत पीने से हीटवेव, लू और त्वचा संबंधित समस्याओं से राहत मिलती है। आयुर्वेद में नीम को हर रूप में औषधीय माना गया है — यह एक ऐसा पौधा है जो न केवल बाहरी बल्कि आंतरिक स्वास्थ्य में भी संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
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