भागदौड़ भरी जिंदगी और दिनभर की थकावट के बाद रात को चैन की नींद मिल जाए, इससे बड़ी कोई राहत नहीं होती। लेकिन कई बार नींद हमारे पलकों से कोसों दूर होती है, और इसकी वजह होती है हमारी ही दिनचर्या में छिपी छोटी-छोटी गड़बड़ियां। अगर आप हर सुबह तरोताज़ा उठना चाहते हैं तो कुछ बुनियादी आदतें और नियम अपनाने की जरूरत है, जो सदियों से आयुर्वेद और योग शास्त्रों में सुझाए गए हैं।
सबसे पहले ज़रूरी है – एक निश्चित सोने और जागने का समय तय करना। हर दिन एक ही समय पर सोना और उठना हमारे शरीर की बायोलॉजिकल घड़ी को नियमित करता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आप रात 9 बजे सोते हैं तो सुबह 5 बजे उठना आपकी नींद को संतुलित रखेगा।
रात को हल्का और सुपाच्य भोजन करने की सलाह दी जाती है। दो रोटियां और हल्की दाल से बना भोजन आदर्श होता है। सोने से कम से कम दो घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए। इसके बाद, एक गिलास गुनगुना दूध और 10-15 मिनट की सैर आपके शरीर को विश्राम की अवस्था में लाने में मदद करती है।
आयुर्वेद में सिर की मालिश को नींद लाने वाला रामबाण उपाय माना गया है। नारियल, तिल या ब्राह्मी तेल से सिर की हल्की मालिश न केवल तनाव घटाती है बल्कि मस्तिष्क को शांति भी देती है। वहीं योग में अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम को बेहतरीन नींद लाने वाला अभ्यास बताया गया है। सिर्फ पांच मिनट का यह अभ्यास मन को स्थिर और शरीर को विश्राम की अवस्था में ले आता है।
आपका कमरा भी नींद का वातावरण बनाने में अहम भूमिका निभाता है। नींद से पहले कमरे की रोशनी मंद कर दें। कोई हल्का रूम फ्रेशनर और साफ-सुथरा बिस्तर मानसिक शांति को बढ़ावा देता है। मोबाइल और स्क्रीन से दूरी बनाएं — ये दिमाग को उत्तेजित कर नींद में खलल डालते हैं। अगर संभव हो तो सोने से पहले मोबाइल को कमरे से बाहर रखें।
एक गिलास पानी बिस्तर के पास रखने से भी नींद के दौरान वातावरण में नमी और ऑक्सीजन के संतुलन में मदद मिलती है। लेकिन ध्यान रहे — सोने के कमरे में पौधे या फूलों के गमले न रखें। रात को पौधे कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं जो ऑक्सीजन के स्तर को कम कर सकते हैं।
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