79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसे मुद्दे पर जोर दिया, जिसे उन्होंने आने वाले वर्षों में भारत के लिए सबसे बड़े स्वास्थ्य संकटों में से एक बताया, मोटापा। पीएम ने चेतावनी दी कि, “आने वाले वर्षों में मोटापा हमारे देश के लिए संकट बन जाएगा” और विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि निकट भविष्य में हर तीसरा भारतीय मोटापे की समस्या से जूझ सकता है।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, “जब मैं खेलों की बात करता हूं, तो मैं आपसे एक चिंता भी साझा करना चाहता हूं, मोटापा हमारे देश के लिए बड़ा संकट बनता जा रहा है। जानकार लोग कहते हैं कि आने वाले समय में हर तीन में से एक व्यक्ति मोटापे का शिकार होगा। परिवारों को तय करना चाहिए कि जब घर के लिए तेल खरीदा जाए तो वह सामान्य से 10% कम हो।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई परिवार महीने में 2 लीटर तेल खरीदता है, तो उसे इसे घटाकर 1.8 लीटर करना चाहिए। यह छोटा सा बदलाव भोजन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाए बिना स्वास्थ्य पर बड़ा असर डाल सकता है।
खाने का तेल भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है, लेकिन यह कैलोरी से भरपूर होता है। सिर्फ एक चम्मच तेल में लगभग 120 कैलोरी होती है और इसका अधिक उपयोग वजन बढ़ने, हृदय रोग, डायबिटीज और अन्य मेटाबॉलिक बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्रति व्यक्ति प्रति माह 600–700 मिलीलीटर से अधिक तेल के सेवन की सलाह नहीं देते, लेकिन कई घरों में यह खपत इससे कहीं ज्यादा है।
पीएम मोदी ने तेल की खपत कम करने के संदेश को एक बड़े फिटनेस अभियान से जोड़ा। उन्होंने दोहराया कि “स्वास्थ्य ही असली संपत्ति है” और कहा कि व्यायाम के साथ-साथ संतुलित आहार भी उतना ही जरूरी है। उनका मानना है कि सजग खानपान केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य नहीं, बल्कि राष्ट्रहित का भी विषय है। मोदी का यह सुझाव, जो दिखने में बेहद सरल है, देश में बढ़ते मोटापे और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के खिलाफ एक जागरूकता अभियान की तरह देखा जा रहा है।
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