भारत के महाराष्ट्र के जलगांव शहर में स्थित अजंता और एलोरा की गुफ़ाएं को किसी भी तरह के परिचय की मोहताज नहीं है। इन दोनों गुफाओं को देखने के लिए दूर- दूर से दुनियाभर के लोग आते है। हालांकि अजंता और एलोरा की गुफ़ाएं एक-दूसरे से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। वहीं अजंता की गुफा को यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया हैं। एलोरा की गुफाएं दुनिया की सबसे बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई संरचनाओं में से एक हैं। यहां लगभग 34 गुफाएं हैं जिसमें कैलाश मंदिर गुफा हिमालय के कैलाश पर्वत श्रृंखला को समर्पित है. इन गुफाओं का निर्माण लगभग 600 ईस्वी से 1000 ईस्वी पूर्व में किया गया है।
साल 1983 में अजंता की गुफा को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया था। अजंता की गुफाओं को 1819 में एक ब्रिटिश ऑफिसर ने खोजा था। वही अजंता की गुफा, एलोरा की गुफाओं से भी काफी पुरानी हैं। घोड़े के नाल के आकार के रूप में बने पहाड़ पर 26 गुफाएं बनी हुई हैं। यहां दो तरह की गुफाएं हैं- जिसमें विहार और चैत्य गृह शामिल हैं। विहार की संख्या 25 है, तो चैत्य गृहों की संख्या चार है। विहार का इस्तेमाल बौद्ध रहने के लिए किया जाता था, जबकि चैत्य गृह का इस्तेमाल ध्यान स्थल के रूप में किया जाता था।
बता दें कि अजंता की गुफाएं बौद्ध धर्म को समर्पित हैं। इसमें बौद्ध धर्म से जुड़ी कलाकृतियां भी मौजूद हैं। इन गुफाओं में बुद्ध की छवियों के अलावा कई जानवरों, आभूषणों, पहनावों को भी दर्शाया गया है। इन गुफाओं की कलाएं बिल्कुल ग्रीक कलाओं की तरह नजर आती है। जिसे महज इत्तेफाक नहीं कहा जा सकता।
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