बाघों के संरक्षण के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इस पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं पर महाराष्ट्र में सात महीनों में 23 बाघों की जान चली गई। हालांकि इनमें से अधिकांश बाघों की मौत प्राकृतिक हैं पर कई बाघों का शिकार भी किया गया। इस साल जनवरी से जुलाई तक 23 बाघों की मृत्यु हुई थी। इसमें से 15 बाघों की जान प्राकृतिक कारणों के चलते गई जबकि उमरेड-पवनी-करहांडला में 4 बाघों को जहर देकर मारा गया।
2 बाघों का शिकार किया गया जबकि एक रेलवे हादसे और एक बिजली के झटके के चलते 1-1 बाधों की जान गई। कांग्रेस के अशोक पवार, प्रतिभा धानोरकर आदि के विधानसभा में पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह जानकारी दी।
एक और सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि राज्य में इस 30 सितंबर तक वन्य जीवों के हमले में 65 लोगों की जान गई है। इसमें से 39 लोगों की मौत बाघ के हमले में हुई है। पिछले साल इसी दौरान जंगली जानवरों के हमले में 61 लोगों की जान गई थी जिसमें 50 विदर्भ के थे।
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