अब तक आत्महत्या कर चुके हैं 92 एसटी महामंडल के कर्मचारी

 हड़ताल खत्म करने को लेकर सरकार को कोई चिंता नहीं  

अब तक आत्महत्या कर चुके हैं 92 एसटी महामंडल के कर्मचारी

राज्य की सरकारी परिवहन सेवा एसटी महामंडल के कर्मचारी पिछले साल नवंबर से हड़ताल पर हैं। अब तक एसटी के 93 कर्मचारी आत्महत्या कर चुके हैं। हड़ताली कर्मचारियों की ओर से पैरवी रहे अधिवक्ता सदाव्रते गुणरत्ने ने शुक्रवार को बांबे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अहिंसक रूप से आंदोलन कर रहे है। अब तक 93 कर्मचारी आत्महत्या कर चुके है। कर्मचारियों की सुध लेनेवाला कोई नहीं है। राज्य सरकार को हड़ताल को लेकर कोई चिंता नहीं है। अब तक एसटी कर्मचारियों की मांग को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट को सामने नहीं लाया गया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी सिर्फ इतना जानना चाहते है कि क्या सरकार का रुख उनकी मांग को लेकर सकारात्म है। उन्होंने कहा कि 176 विधायाकों ने कर्मचारियों की मांग का समर्थन करते हुए सरकार को पत्रलिखा है। दो मंत्रियों ने भी कर्मचारियों की मांग का समर्थन किया है।

इस तरह से मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि चूंकि कर्मचारियों की मांग से जुड़ी रिपोर्ट से वित्तीय पहलू जुड़ा है। इसलिए मंत्रिमंडल की मंजूरी जरुरी है। खंडपीठ ने कहा कि हम इस मामले के समाधान के लिए बीच का रास्ता ढूंढ रहे है। खंडपीठ ने फिलहाल इस याचिका पर सुनवाई 11 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है। इस तरह खंडपीठ ने सरकार को रिपोर्ट को मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए दो सप्ताह तक समय दिया है। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर अधिवक्ता नायडू ने खंडपीठ को आश्वस्त किया कि मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सभी पक्षकारों को रिपोर्ट दी जाएगी।

इस दौरान राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल (एसटी महामंडल) के कर्मचारियों की मांग को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट को मंत्रिमंडल की मंजूरी की जरुरत पड़ेगी। लिहाजा मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद रिपोर्ट पेश की जाएगी। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता एस.नायडू ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। एसटी महामंडल के कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान समझा जाए। इस मांग को लेकर कुछ कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर हैं और कुछ काम पर वापस लौट आए है। कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगाने के लिए महामंडल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

इस याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कर्मचारियों की मांग पर विचार करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव सहित तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मुख्यमंत्री की राय के साथ कमेटी की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था।

शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि कर्मचारियों की मांग को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट से वित्तीय पहलू जुड़ा है। इसलिए मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद रिपोर्ट पेश की जाएगी। इसके लिए सरकार को थोड़ा वक्त दिया जाए। उन्होंने कहा कि महामंडल के विलीनिकरण की मांग को छोड़ दिया जाए तो राज्य सरकार ने कर्मचारियों की बहुत सी मांगे मान ली ही।

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