इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियां: स्वतंत्र जांच के आदेश, आरबीआई ने दी जमाकर्ताओं को राहत

इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियां: स्वतंत्र जांच के आदेश, आरबीआई ने दी जमाकर्ताओं को राहत

Anomalies in Indusind Bank's derivative portfolio: Independent probe ordered, RBI gives relief to depositors

इंडसइंड बैंक ने अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गंभीर लेखांकन विसंगतियों की जांच के लिए एक स्वतंत्र पेशेवर फर्म को नियुक्त किया है। यह फैसला बैंक द्वारा अपने वित्तीय विवरणों में पाई गई अनियमितताओं के बाद लिया गया है, जिसका असर इसकी नेट वर्थ पर 2.35% तक पड़ सकता है। इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक की स्थिरता को लेकर आश्वासन दिया है, जिससे निवेशकों और जमाकर्ताओं को राहत मिली है।

इंडसइंड बैंक ने हाल ही में अपने डेरिवेटिव अनुबंधों के लेखांकन में विसंगतियां पाई हैं, जो पिछले छह वर्षों से बनी हुई थीं। इसका मतलब यह है कि बैंक द्वारा कुछ डेरिवेटिव सौदों का लेखांकन सही ढंग से नहीं किया गया था, जिससे वित्तीय रिपोर्टिंग में गड़बड़ियां आईं।

बैंक ने 10 मार्च 2025 को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में इस समस्या की जानकारी दी थी और बताया था कि यह मामला बाहरी एजेंसी से समीक्षा के अधीन है। अब, बैंक ने एक स्वतंत्र पेशेवर फर्म को नियुक्त किया है, जो इन विसंगतियों की गहराई से जांच करेगी और यह भी देखेगी कि इसमें किसी स्तर पर कोई चूक या लापरवाही तो नहीं हुई।

इस जांच का मुख्य उद्देश्य है, लेखांकन प्रक्रियाओं में हुई गलती की पहचान करना,डेरिवेटिव अनुबंधों के लेखांकन ट्रीटमेंट की सही स्थिति का आकलन करना, वित्तीय विवरणों में गलत रिपोर्टिंग के प्रभाव को समझना, अगर कोई गड़बड़ी जानबूझकर हुई है तो जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करना यही होगा।

बैंक ने बताया कि इन विसंगतियों के कारण इसका नेट वर्थ दिसंबर 2024 तक 2.35% तक प्रभावित हो सकता है। हालांकि, बैंक का कहना है कि वह सभी आवश्यक सुधारात्मक कदम उठा रहा है और इन विसंगतियों के समाधान के लिए आवश्यक प्रावधान भी कर रहा है।

इंडसइंड बैंक में आई इन विसंगतियों के कारण बाजार में जमाकर्ताओं और निवेशकों के बीच चिंता बढ़ गई थी। इसे देखते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक आधिकारिक बयान जारी कर बैंक की स्थिरता को लेकर आश्वासन दिया है।

आरबीआई के अनुसार, बैंक पूरी तरह से पूंजीकृत (well-capitalized) है। 31 दिसंबर 2024 तक बैंक का कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो (CAR) 16.46% था, जो नियामक आवश्यकताओं से अधिक है। बैंक ने 9 मार्च 2025 तक 113% लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) बनाए रखा, जो 100% की न्यूनतम जरूरत से काफी ऊपर है। बैंक का प्रोविजन कवरेज रेशियो (PCR) 70.20% है, जो बैंकों की बैलेंस शीट की सुरक्षा के लिहाज से अच्छा माना जाता है। इंडसइंड बैंक के शेयरों में इस खबर के बाद मामूली उतार-चढ़ाव देखने को मिला। हालांकि, आरबीआई के आश्वासन के बाद निवेशकों का भरोसा कुछ हद तक बना हुआ है।

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आगे भी जांच जारी रहेगी, स्वतंत्र फर्म बैंक के वित्तीय रिकॉर्ड और डेरिवेटिव अनुबंधों की गहन समीक्षा करेगी। बैंक अपने निवेशकों और नियामक संस्थाओं को समय-समय पर जानकारी देगा।अगर कोई गंभीर अनियमितता पाई जाती है, तो जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई हो सकती है। आरबीआई बैंक पर कड़ी निगरानी बनाए रखेगा ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां न हों।

इंडसइंड बैंक की डेरिवेटिव पोर्टफोलियो विसंगति एक गंभीर मामला है, लेकिन बैंक ने इसे सुधारने के लिए स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया है। वहीं, आरबीआई द्वारा बैंक की वित्तीय स्थिरता की पुष्टि के बाद जमाकर्ताओं को घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि, इस मामले की जांच के नतीजे और आगे की कार्रवाई यह तय करेंगे कि बैंक की भविष्य की साख और वित्तीय प्रदर्शन पर कितना प्रभाव पड़ेगा।

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