कोरोना महामारी के दौरान राज्य की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ी पर कृषि क्षेत्र ने अच्छा प्रदर्शन किया है। गुरुवार को विधानसभा में पेश भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य की महा विकास अघाड़ी सरकार भी राजकोषीय घाटे को तीन फीसदी से नीचे लाने में कामयाब रही है। हालांकि यह बात सामने आई है कि राज्य की आर्थिक विकास दर (जीडीपी) में तीन फीसदी की गिरावट आई है। कैग ने राज्य तत्कालीन वित्त मंत्री अजीत पवार के राजकोषीय अनुशासन के लिए उनकी प्रशंसा की है।
सीएजी की रिपोर्ट आज विधानसभा में पेश की गई। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016-17 में राज्य का कर्ज 4 लाख करोड़ रुपये था। यह कर्ज बढ़ गया है और अब यह 5 लाख 48 हजार 176 करोड़ हो गया है। कोरोना महामारी की बीमारी और इसे रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है। चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंधों को हटा दिया गया क्योंकि कोरोना महामारी का प्रभाव कम हो रहा था। कैग ने कहा कि इससे वित्तीय स्थिति पर भी असर पड़ा।
राजस्व में आई कमी:कैग ने कहा कि राज्य के कर राजस्व में पिछले साल की तुलना में 13.7 फीसदी की गिरावट आई है. वर्ष 2019-20 में राजस्व दो लाख 83 हजार 189.58 करोड़ रुपये था। साल 2020-21 में राजस्व घटकर दो लाख 69 हजार 468.91 करोड़ रह गया। जीएसटी में 15.32 फीसदी की गिरावट आई है। कैग ने कहा कि वैट में 12.24 फीसदी की कमी की गई है। कुल राजस्व व्यय का 57.33 प्रतिशत राज्य सरकार के ऋण ब्याज, मजदूरी और पेंशन पर खर्च किया जाता है। 41 हजार 141.85 करोड़ के राजस्व व्यय में कमी के कारण राजस्व घाटा हुआ है।
कृषि ने सहेजा: कोरोना के कारण जहां राज्य की अर्थव्यवस्था चरमरा गई, वहीं दूसरी ओर कृषि क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दिया। कृषि क्षेत्र एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जिसने सकारात्मक तस्वीर दिखाई। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 11 प्रतिशत है। जबकि, राज्य के औद्योगिक क्षेत्र में 11.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। कैग ने कहा कि सेवा क्षेत्र में 9 प्रतिशत की गिरावट आई है।
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