जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के पद्दर सब-डिवीजन के चोसिटी गांव में गुरुवार (14 अगस्त)दोपहर बादल फटने से आई भीषण बाढ़ ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई। इस हादसे में 45 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 120 लोग घायल हैं। चोसिटी, मचैल माता मंदिर जाने वाली सड़क का आखिरी मोटरेबल गांव है। मृतकों में दो केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवान और मचैल माता के कुछ श्रद्धालु भी शामिल हैं।
बादल फटने के बाद बाढ़ के साथ आए मलबे और कीचड़ के बहाव ने कई घरों, दुकानों और वाहनों को दबा दिया। स्थिति गंभीर होने पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), पुलिस, भारतीय सेना और स्थानीय स्वयंसेवकों ने संयुक्त बचाव अभियान शुरू किया।
बीजेपी विधायक सुनील शर्मा ने बताया कि घटना के समय मौके पर लगभग 1,200 लोग मौजूद थे, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। वहीं, एडिशनल एसपी प्रदीप सिंह ने कहा कि 45 मौतों की पुष्टि हुई है, 100 से ज्यादा घायलों को इलाज के लिए भेजा गया है और कई लोग अब भी लापता हैं। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, अब तक मिले 45 शवों में से 21 की पहचान परिजनों ने कर ली है। बाकी शवों की पहचान के लिए उनके फोटो परिवारों के साथ साझा किए जा रहे हैं।
सेना की व्हाइट नाइट कोर की पांच से अधिक टुकड़ियां, प्रत्येक में लगभग 60 जवान, और मेडिकल डिटैचमेंट्स राहत कार्य में लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “किश्तवाड़ में बादल फटने और बाढ़ से प्रभावित लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है। बचाव और राहत कार्य जारी है। हर संभव मदद दी जाएगी।”
My thoughts and prayers are with all those affected by the cloudburst and flooding in Kishtwar, Jammu and Kashmir. The situation is being monitored closely. Rescue and relief operations are underway. Every possible assistance will be provided to those in need.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 14, 2025
अब तक 160 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। चोसिटी से आगे मचैल और हमरोटी नामक दो गांवों में सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर:
9858223125, 6006701934, 9797504078, 8492886895, 8493801381, 7006463710
अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ के साथ आई मिट्टी और मलबे की परतें, साथ ही भूस्खलन, राहत कार्य में बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। खराब मौसम के बावजूद बचाव टीमें लगातार लापता लोगों की तलाश और प्रभावित इलाकों में सहायता पहुंचाने में जुटी हैं।
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