पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के बीच मतदाता सूची में फर्जी नाम जोड़ने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार पर लोकतंत्र को “दूषित” करने और चुनावी प्रक्रिया में गंभीर भ्रष्टाचार फैलाने का आरोप लगाया है।
सुवेंदु अधिकारी ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक विस्तृत पोस्ट करते हुए दावा किया कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) द्वारा सभी जिला चुनाव अधिकारियों (DMs) को भेजे गए एक मेमो से गंभीर अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ है। उन्होंने कहा, “मुख्य निर्वाचन अधिकारी के इस पत्र में बताया गया है कि सैंपल जांच में यह सामने आया कि मतदाता अधिनियम, 1960 का पालन नहीं किया गया। फॉर्म 6 के हजारों आवेदनों को बिना उचित सत्यापन के स्वीकार कर लिया गया, जिससे फर्जी मतदाताओं को जोड़ा गया।”
सुवेंदु अधिकारी के मुताबिक, निर्वाचन प्रक्रिया को बिगाड़ने में कई स्तरों पर लापरवाही और साजिश की बू है। उन्होंने आरोप लगाया कि बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) से दस्तावेज जल्दबाजी में जुटवाए गए। निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारियों (EROs) ने नियमों को दरकिनार कर सहायक निर्वाचन अधिकारियों (AEROs) व ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर्स (BDOs) के अधीनस्थ OC इलेक्शन और कैजुअल डाटा एंट्री ऑपरेटरों को महत्वपूर्ण निर्वाचन कार्य सौंपा।
इन संविदा कर्मियों को फॉर्म 6, 7, 8 जैसे अहम दस्तावेजों के निस्तारण की जिम्मेदारी दी गई, जबकि वे इस कार्य के लिए प्रशिक्षित या अधिकृत नहीं थे। सुवेंदु अधिकारी का दावा है कि “यह सब ममता सरकार की ओर से चुनावी व्यवस्था में घुसे व्यवस्थित भ्रष्टाचार और प्रशासनिक पक्षपात का जीता-जागता प्रमाण है।”
सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “फर्जी मतदाताओं को जोड़ना, BLO पर रिकॉर्ड से छेड़छाड़ के लिए दबाव बनाना और अयोग्य व्यक्तियों को संवेदनशील कार्य सौंपना, यह सब हर नागरिक के निष्पक्ष चुनाव में भागीदारी के अधिकार पर सीधा हमला है।”
This latest memo from the Chief Electoral Officer of West Bengal to all the District Election Officers (DMs) exposes a scandalous betrayal of democracy:-
# Sample checks reveal that Form 6 disposals showed non-compliance with the Electors' Act, 1960, including acceptance of… pic.twitter.com/7Cyf3UZ0VR
— Suvendu Adhikari (@SuvenduWB) July 30, 2025
उन्होंने इस पूरे मामले की तत्काल जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल सरकार प्रशासन व्यवस्था में हेराफेरी कर रही है। अब समय आ गया है कि इस अराजकता को रोका जाए और सब कुछ व्यवस्थित किया जाए।”
इस मामले पर ममता सरकार की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन चुनावी प्रक्रिया से जुड़े नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि ये आरोप सत्य साबित होते हैं, तो यह चुनावी लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत हैं — विशेषकर ऐसे समय में जब राज्य में 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया की निगरानी चुनाव आयोग कर रहा है।
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