पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत का बड़ा कूटनीतिक अभियान बुधवार रात से शुरू हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा गठित सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल की पहली टीम जेडीयू नेता संजय कुमार झा के नेतृत्व में जापान के लिए रवाना हो गई। यह अभियान भारत की ‘जीरो टॉलरेंस फॉर टेररिज्म’ नीति को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सशक्त रूप से प्रस्तुत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल का प्रमुख उद्देश्य पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को दिए जा रहे समर्थन के ठोस प्रमाण दुनिया के सामने रखना और हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पृष्ठभूमि को वैश्विक स्तर पर स्पष्ट करना है। इस अभियान की शुरुआत ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद घोषित संघर्षविराम ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान फिर से दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति पर केंद्रित कर दिया है।
संजय झा के नेतृत्व वाले इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद शामिल हैं, जिनमें भाजपा की अपराजिता सारंगी और बृज लाल, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी और जॉन बारला, और कांग्रेस से वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद शामिल हैं। यह टीम 22 मई को जापान, 24 मई को दक्षिण कोरिया, 27 मई को सिंगापुर, 28 मई को इंडोनेशिया और 31 मई को मलेशिया की यात्रा करेगी।
भारत इस अभियान के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के स्थायी सदस्य देशों में भी प्रतिनिधिमंडल भेज रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस जैसे देशों में भारतीय सांसद और राजनयिक भारत का पक्ष मजबूती से रखेंगे। हालांकि पाकिस्तान और चीन को कोई प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजा जा रहा है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस कूटनीतिक पहल की दिशा और उद्देश्य को लेकर सात में से तीन प्रतिनिधिमंडलों को ब्रीफ किया है। संजय झा की टीम के अलावा, श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में एक अन्य प्रतिनिधिमंडल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कांगो, सिएरा लियोन और लाइबेरिया की यात्रा करेगा। वहीं डीएमके सांसद कनिमोई के नेतृत्व में तीसरा दल रूस, स्लोवेनिया, ग्रीस, लातविया और स्पेन जाएगा।
यह पहला मौका है जब भारत सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों को साथ लेकर इस स्तर का वैश्विक अभियान शुरू किया है। सभी प्रतिनिधिमंडलों को यह स्पष्ट संदेश लेकर भेजा गया है कि भारत आतंकवाद के किसी भी रूप को स्वीकार नहीं करेगा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उम्मीद करता है कि वह भी आतंकवाद के खिलाफ समान रूप से सख्त रुख अपनाए।
इस बहुपक्षीय कूटनीतिक अभियान को भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को वैश्विक समर्थन दिलाने और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
यह भी पढ़ें:
पटना में आयुष्मान भारत और जन आरोग्य योजना पर राज्यस्तरीय कार्यशाला सम्पन्न!
