भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार (20 मई) की शाम को डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन से मुलाकात की। इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से फ्रेडरिक्सन को व्यक्तिगत शुभकामनाएं दीं और भारत-डेनमार्क के बीच ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को और सशक्त करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस भेंट को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “कोपेनहेगन में मेरा गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए पीएम मेटे फ्रेडरिक्सन को धन्यवाद। मैंने पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से उन्हें शुभकामनाएं दीं। आतंकवाद से लड़ने में डेनमार्क के समर्थन और एकजुटता के लिए आभार। हमारी ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को आगे बढ़ाने और सहयोग को और विस्तार देने के लिए पीएम फ्रेडरिकसन के मार्गदर्शन की सराहना करता हूं।”
यह बैठक ऐसे समय हुई है जब इस साल के अंत में नॉर्वे में तीसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन का आयोजन प्रस्तावित है। पहले इस सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना थी, लेकिन कार्यक्रम में बदलाव के चलते विदेश मंत्री जयशंकर भारतीय प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे हैं।
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक चिंताओं जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की। डेनमार्क ने हाल के दक्षिण एशियाई सुरक्षा हालात के मद्देनजर वैश्विक आतंकवाद पर भारत के रुख का समर्थन दोहराया।
भारत और डेनमार्क के बीच वर्ष 2020 में शुरू हुई ‘ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ दोनों देशों के संबंधों की रीढ़ बन चुकी है। यह साझेदारी सतत विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, जल प्रबंधन और जलवायु कार्रवाई जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देती है और भारत की एकमात्र ऐसी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी है जो खास तौर पर हरित विकास पर केंद्रित है।
इससे पहले, अप्रैल 2025 में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। उस समय भी दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग को और व्यापक बनाने पर बल दिया था। उस बातचीत के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा था, “आज पीएम मेटे फ्रेडरिक्सन से बात करके खुशी हुई। हमने भारत-डेनमार्क ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप के लिए अपने मजबूत समर्थन की पुष्टि की और लोगों के लाभ के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।”
डेनमार्क के साथ यह निरंतर संवाद और सहयोग भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं और वैश्विक कूटनीति में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
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