भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का बहुप्रतीक्षित PSLV-C61 मिशन, जो EOS-09 पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को लेकर अंतरिक्ष की ओर बढ़ रहा था, रविवार तड़के तकनीकी खामी के कारण बीच में ही रोकना पड़ा। श्रीहरिकोटा से होने वाला यह भारत का 101वां अंतरिक्ष मिशन था, जो तीसरे चरण में दबाव की कमी के चलते पूरा नहीं हो सका।
ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने प्रेस को जानकारी देते हुए बताया, “PSLV एक चार चरणों वाला यान है। पहले दो चरणों का प्रदर्शन सामान्य था, लेकिन तीसरे चरण के दौरान मोटर के चेंबर में दबाव में गिरावट देखी गई, जिससे मिशन को रोकना पड़ा।” उन्होंने आश्वस्त किया कि टीम मिशन के पूरे प्रदर्शन की समीक्षा कर रही है और जल्द ही फिर से प्रक्षेपण का प्रयास किया जाएगा।
इसरो का यह 63वां PSLV मिशन था, जिसमें अत्याधुनिक सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार से लैस EOS-09 उपग्रह भेजा जाना था। यह उपग्रह कृषि और वानिकी निगरानी, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला था। यह उपग्रह दिन-रात और हर मौसम में धरती की उच्च-रिजॉल्यूशन इमेज लेने में सक्षम है।
हालांकि यह एक तकनीकी असफलता मानी जा सकती है, लेकिन ISRO की रणनीति और तैयारी में एक बात खास रही—उपग्रह में इतना अतिरिक्त ईंधन आरक्षित रखा गया था कि यदि प्रक्षेपण सफल होता, तो मिशन के अंत में इसे दो वर्षों के भीतर सुरक्षित रूप से कक्षा से बाहर निकालने की योजना थी, ताकि अंतरिक्ष मलबे को रोका जा सके।
इस घटना से भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को अस्थायी झटका जरूर लगा है, लेकिन ISRO की पारदर्शिता और त्वरित तकनीकी मूल्यांकन की प्रक्रिया यह भरोसा दिलाती है कि अगली बार PSLV और अधिक परिपक्व और तैयार होकर लौटेगा।
अब निगाहें ISRO की आगामी रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो इस तकनीकी खामी की विस्तृत समीक्षा के बाद अंतरिक्ष एजेंसी के अगले कदमों को तय करेगी।
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