विशेषज्ञों का कहना है कि बीपी एक साइलेंट किलर है। कोरोना महामारी के बाद इसकी समस्या बढ़ी है। दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक सहित दूसरे मामलों के बढ़ने के पीछे भी यह बड़ा कारण है। हालांकि इसकी रोकथाम की जा सकती है, लेकिन शुरुआती दौर में लक्षण न दिखने के कारण ज्यादातर मरीज इसे अनदेखा करते हैं। लंबे समय के बाद स्थिति गंभीर होने पर शरीर में कई विकार बढ़ जाते हैं।
एम्स में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आर नारंग का कहना है कि आंकड़े बताते हैं कि देश में करीब 25 करोड़ लोग उच्च रक्तचाप से प्रभावित हैं। एक अनुमान के अनुसार, हर चौथे व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या है। इन लोगों में से केवल करीब 12 फीसदी ही अपना रक्तचाप नियंत्रण में रख पाए हैं।
कुल रोगियों की बात करें तो करीब 46 फीसदी को अपने रोग के बारे में पता ही नहीं है, जिन्हें पता है उनमें केवल 42 फीसदी का निदान और उपचार होता है। उच्च रक्तचाप के कारण देश में हर साल 16.3 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इनमें दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक, किडनी रोग सहित दूसरे रोग होने के आशंका सबसे अधिक रहती है।
यह बढ़ा रहा बीपी: अधिक नमक, वसा और जंक फूड का सेवन, फल और सब्जियों की कमी
खराब जीवनशैली : शारीरिक निष्क्रियता, तंबाकू, शराब का सेवन, मोटापा और तनाव
बढ़ती उम्र : उम्र के साथ धमनियां कठोर हो जाती हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ सकता है|
अन्य रोग – मधुमेह, किडनी रोग, सहित अन्य
देश में बीपी की समस्या को दूर करने के लिए दो साल पहले ही 75/25 परियोजना को शुरू किया गया था। इसके तहत इस साल मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित 7.5 करोड़ लोगों की देखभाल को बेहतर बनाना है। एम्स सहित दूसरे अस्पतालों में इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है।
जगप्रवेश अस्पताल में आयुष विभाग के डॉ. नीरज त्रिपाठी ने कहा कि योग की मदद से रक्त वाहिनियों में लचीला बनाया जा सकता है। यह हमारे बीपी के स्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा खानपान में सुधार कर और मोटापा घटाकर भी इस समस्या को दूर किया जा सकता है।
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