सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (6 अक्तूबर)को मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवाई पर एक वकील ने जूता फेंकने का प्रयास किया। आरोपी की पहचान 71 वर्षीय राकेश किशोर के रूप में हुई है, जिनका जूता CJI तक नहीं पहुंचा। यह घटना कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई के दौरान हुई। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत किशोर को काबू में कर लिया। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, जब किशोर को हटाया जा रहा था, तो वह चिल्ला रहे थे, “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।”
सूत्रों के मुताबिक, आरोपी के पास सुप्रीम कोर्ट द्वारा वकीलों और क्लर्कों को दी जाने वाली प्रॉक्सिमिटी कार्ड भी था, जिससे वह कोर्ट परिसर में प्रवेश कर सके। CJI गवाई ने इस घटना से प्रभावित हुए बिना सुनवाई जारी रखी और कहा,“ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।”
यह घटना उस विवाद से जुड़ी मानी जा रही है, जो CJI गवाई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने राकेश दलाल की याचिका सुनी। याचिका में खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति को बहाल करने का निर्देश मांगा गया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि मूर्ति मुग़ल आक्रमणों के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई थी और इसे प्राधिकरणों द्वारा पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान CJI गवाई ने कहा, “जाकर स्वयं देवी-देवता से कुछ करने को कहें। आप भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हैं, तो अभी प्रार्थना करें। यह एक पुरातात्विक स्थल है और ASI की अनुमति चाहिए। माफ़ करें।”
उनके इस कथन से कई लोगों में आक्रोश फैल गया। बाद में 18 सितंबर को, CJI गवाई ने स्पष्ट किया कि उनका किसी की आस्था को ठेस पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था और वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। यह घटना सुप्रीम कोर्ट परिसर में सुरक्षा और संवेदनशील धार्मिक मामलों को लेकर बहस का मुद्दा बन गई है।
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