पूर्वोत्तर भारत में जारी भीषण बारिश और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम, सिक्किम और मणिपुर के शीर्ष नेतृत्व से मंगलवार को बातचीत कर हालात की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, मोदी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से फोन पर बात की। उन्होंने बाढ़ से उत्पन्न हालात की गंभीरता को लेकर चिंता जताई और राहत कार्यों के लिए केंद्र की ओर से पूरी मदद की पेशकश की।
इससे पहले रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी बाढ़ से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों — असम के हिमंता बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू और सिक्किम के प्रेम सिंह तमांग — के साथ बातचीत की थी। साथ ही मणिपुर के राज्यपाल से भी हालात की जानकारी ली थी।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने सोमवार को पूर्वोत्तर की बाढ़ पर चिंता जताई थी। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,”पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में लगातार हो रही भारी बारिश से प्रभावित लोगों के लिए बहुत चिंतित हूं। मैंने भाजपा की राज्य इकाइयों और कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देशों के अनुसार हर संभव सहायता प्रदान करने को कहा है।”
उन्होंने नागरिकों से सावधानी बरतने, अनावश्यक यात्रा से बचने, और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की।
आपदा प्रबंधन विभागों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 29 मई से पूर्वोत्तर भारत में जारी भारी बारिश और बाढ़ की वजह से अब तक कुल 34 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें सबसे अधिक 10 मौतें असम में दर्ज की गई हैं, जबकि अरुणाचल प्रदेश में 9 लोगों की जान गई है। मेघालय और मिजोरम में 6-6 लोगों की मृत्यु हुई है। इसके अलावा त्रिपुरा में 2 और नागालैंड में 1 व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है। इन मौतों का मुख्य कारण डूबना, भूस्खलन और जलभराव जैसे हालात रहे हैं।
इनमें से अधिकतर मौतें डूबने, भूस्खलन और जलभराव के चलते हुई हैं। हजारों लोग राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं, सैकड़ों गांवों का संपर्क कट गया है, और बुनियादी सेवाएं बाधित हो गई हैं। प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों की सक्रियता से साफ है कि केंद्र सरकार इस आपदा को गंभीरता से ले रही है। राहत और बचाव कार्यों को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है, जबकि मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और भारी बारिश की चेतावनी दी है।
पूर्वोत्तर भारत के इस संकट पर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है, और प्रशासनिक अमला चौबीसों घंटे राहत कार्यों में जुटा है।
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