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Tuesday, June 24, 2025
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‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी: भारत ने 90 मिनट में पाकिस्तान के 11 एयरबेस किए तबाह

नूर खान बेस पर हमला इस्लामाबाद के समीप वायुसेना संचालन में व्यवधान डालने के लिए किया गया, जबकि सरगोधा पर हमला पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण सैन्य केंद्र को निष्क्रिय करने की दिशा में निर्णायक कदम था।

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भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने रक्षा क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। एक सुनियोजित और उच्च स्तर की सैन्य रणनीति के तहत भारतीय सेना ने महज 90 मिनट में पाकिस्तान के 11 प्रमुख एयरबेस को निशाना बनाकर भारी क्षति पहुंचाई। इन हमलों में पाकिस्तान की वायुसेना की लड़ाकू क्षमता, रणनीतिक संरचनाएं और निगरानी प्रणाली पर सीधा प्रहार किया गया।

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस ऑपरेशन की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने प्रमुख पाकिस्तानी एयरबेस पर 90 मिनट तक टारगेट अटैक किया।” उन्होंने कहा कि इन हमलों ने पाकिस्तान की वायु सुरक्षा और प्रतिक्रिया देने की क्षमता को गहरा नुकसान पहुंचाया है।

भारतीय हमलों में प्रभावित एयरबेसों में नूर खान/चकलाला (रावलपिंडी), पीएएफ रफीकी (शोरकोट), मुरीद (पंजाब), सुक्कुर (सिंध), सियालकोट (पूर्वी पंजाब), पसरूर, चुनियन, सरगोधा (मुशफ बेस), स्कार्दू (गिलगित-बाल्टिस्तान), भोलारी (कराची के पास) और जैकोबाबाद (सिंध-बलूचिस्तान) शामिल हैं। हर एयरबेस को रणनीतिक लिहाज़ से चुना गया था और इनकी भूमिका पाकिस्तान की सैन्य संरचना में अहम थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि नूर खान बेस पर हमला इस्लामाबाद के समीप वायुसेना संचालन में व्यवधान डालने के लिए किया गया, जबकि सरगोधा पर हमला पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण सैन्य केंद्र को निष्क्रिय करने की दिशा में निर्णायक कदम था। स्कार्दू और जैकोबाबाद जैसे उत्तर और पश्चिमी क्षेत्र के एयरबेसों पर हमले ने पाकिस्तान की सीमा निगरानी और सैन्य गतिशीलता पर सीधा असर डाला।

मालवीय की पोस्ट में बताया गया कि ऑपरेशन का उद्देश्य केवल जवाबी कार्रवाई नहीं बल्कि पाकिस्तान की संपूर्ण हवाई क्षमता को रणनीतिक रूप से अक्षम करना था। रडार नेटवर्क, कमांड हब और स्ट्राइक प्लेटफॉर्म को नष्ट करने से पीएएफ अंधा, जमीन पर भ्रमित हो गया।

इस ऑपरेशन की कामयाबी भारत की सैन्य तैयारियों, तकनीकी क्षमता और संकल्प का प्रतीक मानी जा रही है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब क्षेत्रीय तनाव चरम पर हैं और भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अब वह केवल रक्षात्मक रुख नहीं अपनाएगा।

सरकारी सूत्रों के हवाले से अभी तक इस ऑपरेशन पर आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे एक निर्णायक मोड़ बताया है, जो भविष्य के दक्षिण एशियाई सुरक्षा समीकरणों को नया आकार दे सकता है।

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