भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते कूटनीतिक तनाव की चपेट में पाकिस्तानी नागरिक आने लगे हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार द्वारा पाकिस्तान के साथ वीजा और राजनयिक संबंधों को सीमित करने के फैसले का असर उन पाकिस्तानी नागरिकों पर सीधा पड़ रहा है, जो दशकों से भारत में रह रहे थे—पढ़ाई कर रहे थे, परिवार बसा चुके थे।
ऐसा ही एक नाम है ओसामा, जो पिछले 17 वर्षों से भारत में रह रहा था। वह एक छात्र है और भारत में रहकर ही अपना भविष्य बनाना चाहता था। पकिस्तान छोड़ते हुए ओसामा ने कहा-“मैंने यहां वोट डाला है, राशन कार्ड है। अब पाकिस्तान जाकर क्या करूंगा?” ओसामा के अनुसार उसे मजबूरन उस जमीन पर लौटना पड़ रहा है जिसे वे ‘अब घर’ नहीं मानता।
#WATCH | Attari, Punjab: Osama, a Pakistani national returning to Pakistan via Attari Border, says, "…I am currently pursuing my bachelor's degree. I wanted to appear for job interviews after my examinations. I have been staying here for the last 17 years. I appeal to the… pic.twitter.com/S8dTV92fhC
— ANI (@ANI) April 30, 2025
24 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच 786 पाकिस्तानी नागरिकों को अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत से बाहर निकाला गया है। इनमें बुज़ुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं जो चार-चार बेटियों को पीछे छोड़ पाकिस्तान लौट रही हैं; इनकी बेटियां भारत में शिक्षा ले रही थी। इनमें वह लोग बह है जो दशकों से भारत में रहकर यही मान बैठे थे कि अब उनका भविष्य इसी देश में है, जबकी इनके पूर्वजों ने पाकिस्तान की भूमि भारत से बंटवारे में ली थी।
भारत सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कठोर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, और आवश्यक भी। दरम्यान सवाल बना हुआ है की कैसे कोई पाकिस्तानी भारत में मतपत्र हासिल कर वोट भी डाल दे। लोगों में इस मुद्दे को लेकर गुस्सा तेज हो चूका है। साथ ही लोगों ने इलेक्शन कमीशन से इस पर जवाब मांगा है। यह वक्त केवल सवाल पूछने का नहीं, बल्कि जवाबदेही और संवेदनशीलता से निर्णय लेने का है।
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