जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार को अपना पूरा समर्थन देते हुए पाकिस्तान को तीखा संदेश दिया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि देश को एकजुट रहकर आतंकवाद का जवाब देना चाहिए और भारत हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “हम लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरा समर्थन देने की बात कही है, इसके बाद हमारे साथ कोई सवाल नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी जो करना चाहें, वो करें।” उनका यह बयान साफ करता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर विपक्षी पार्टियां अब राजनीतिक खींचतान से हटकर एक सुर में सरकार के साथ खड़ी हैं।
पाकिस्तान द्वारा कथित तौर पर परमाणु हमले की धमकी देने पर अब्दुल्ला ने भारत की रणनीतिक परिपक्वता का हवाला दिया और कहा कि “हमारे पास भी न्यूक्लियर पावर है, उनसे पहले है… वाजपेयी जी ने कहा था कि हम कभी भी इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे जब तक कोई और हम पर पहला हमला न करे।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने हमेशा पहले हमला नहीं किया है, लेकिन अगर चुनौती दी गई, तो देश के पास जवाब देने की भी पूरी ताकत है। “भगवान करे कि ऐसा दिन कभी न आए,” उन्होंने इस विषय पर संयम की बात करते हुए कहा।
कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को ‘गायब’ कहने पर फारूक ने तंज करते हुए कहा, “वो कहां गायब हैं? मुझे लगता है वो दिल्ली में हैं, और अगर कहीं और होंगे तो उसका पता नहीं है।” इस बयान से उन्होंने विपक्ष के भीतर के विरोधाभासों को भी उजागर किया।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हमें आतंकवाद कबूल नहीं है। आतंकवाद उन्हें भी खत्म कर रहा है और हमें भी।” उन्होंने अतीत की घटनाओं—मुंबई, उरी, पठानकोट और कारगिल का ज़िक्र करते हुए पाकिस्तान की भूमिका को कठघरे में खड़ा किया।
अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को यह दो टूक चेतावनी दी कि “अगर वो दोस्ती चाहते हैं, तो ऐसी चीजें नहीं चलेंगी। आतंकवाद को खत्म करना पड़ेगा। वहीं अगर दुश्मनी में रहना चाहते हैं तो हम भी तैयार हैं।”
इस बयान से यह स्पष्ट है कि कश्मीर के वरिष्ठ नेता अब राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर किसी तरह की सियासी सुलह नहीं चाहते। फारूक अब्दुल्ला की ये टिप्पणियां पाकिस्तान को सख्त संदेश देने के साथ भारत में विपक्षी राजनीतिक वर्ग को भी चेताती हैं कि आतंकवाद जैसे मुद्दे पर विभाजन नहीं, बल्कि एकता ही सबसे बड़ा हथियार है।
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