मुंबई। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को फिलहाल बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है। कोर्ट ने उन्हें केंद्रीय प्रशासकीय न्यायाधिकरण (कैट) के सामने जाने को कहा है। सिंह ने राज्य सरकार की तरफ से उनकी जांच के लिए दिए आदेश को चुनौती दी है। मुंबई पुलिस आयुक्त रहते उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। जिसकी वजह से देशमुख को इस्तीफा देना पड़ा।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला सेवा (सर्विस) से जुड़ा नजर आ रहा है। इस याचिका पर हमें तत्काल सुनवाई की जरूरत नजर नहीं आती हैं। मंगलवार को न्यायमूर्ति एस एस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटाले की खंडपीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया सिंह का मामला सर्विस से जुड़ा नजर आता है। इसलिए वे कैट में जाए। सुनवाई के दौरान सिंह की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता शनि पुनमिया ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी इस मामले की पैरवी कर रहे हैं। चूंकि वे उपलब्ध नहीं है इसलिए मामले की सुनवाई स्थगित की जाए। वहीं राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता डेरिस खम्बाटा ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। चूंकि राज्य के पुलिस महानिदेशक संजय पांडे ने सिंह के खिलाफ जांच को लेकर असमर्थता जाहिर की है।
इसलिए याचिका अपने आप निरर्थक हो चुकी है। याचिका में सेवा से जुड़े मुद्दे को उठाया गया है। इसलिए इसे कैट के पास सुनवाई के लिए भेजा जाए। खंडपीठ ने फिलहाल याचिका पर सुनवाई 9 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। आईपीएस अधिकारी सिंह ने याचिका मे मुख्य रूप से सरकार की ओर से जारी किए गए दो आदेशों को चुनौती दी है। पहला आदेश एक अप्रैल 2021 को जबकि दूसरा आदेश 20 अप्रैल 2021 को जारी किया गया है। जिसके तहत राज्य के पुलिस महानिदेशक संजय पांडे को सिंह के खिलाफ प्रारंभिक जांच करने को कहा गया है। पहला आदेश पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने जारी किया था। जबकि दूसरा आदेश मौजूदा गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने जारी किया है।