सूरत कोर्ट द्वारा दो साल की कैद की सजा सुनाई जाने के बाद शुक्रवार को राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता भी छीन गई। इस पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधींने कहा कि मै हर कीमत चुकाने के लिए तैयार हूं। मै भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं। इसी के साथ यह भी कहा जा रहा है अगर राहुल गांधी को ऊपरी अदालतों से राहत नहीं मिलती है तो उन्हें अपना सरकारी का बंगला खाली करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि 2004 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद 12 तुगलक लेन बंगला आवंटित किया गया था। हालांकि, सूरत कोर्ट ने तत्काल जमानत ने भी दी थी और उन्हें 30 दिन का मौक़ा भी दिया ताकि वे अपनी सदस्यता को रद्द होने पहले कोर्ट जा सके। शहरी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि राहुल गांधी अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं। ऐसे वे सरकारी बंगला के हकदार नहीं है। उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार,अयोग्यता घोषित किये जाने वाले दिन से लेकर एक महीने के अंदर उन्हें बंगला खाली करना होगा।
अगर राहुल गांधी को कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो वे आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इस संबंध में कांग्रेस ने कहा कि यह देश के लिए काला दिन है। और यह लड़ाई राजनितिक और कानूनी दोनों तरह से लड़ी जाएगी। राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद कई विपक्षी दल भी बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी की। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई राजनीति प्रतिशोध के तहत की गई है।
दरअसल कि 13 अप्रैल 2019 में राहुल गांधी ने कर्नाटक की एक रैली को सम्बोधित करते हुए कहा था कि नीरव मोदी,ललित मोदी और नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है ? सभी चोरो का सरनेम मोदी क्यों होता है। इसके बाद, इस बयान पर सूरत के बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दर्ज किया। उन्होंने कहा था कि यह बयान मोदी समाज का मानहानि है।
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