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Tuesday, December 30, 2025
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पांच राज्यों की विधानसभा उपचुनावों की मतगणना शुरू!

कड़ी सुरक्षा में जारी है वोटों की गिनती

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देश के पांच राज्यों की विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों की मतगणना सोमवार (23 जून) सुबह 8 बजे से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू हो गई है। 19 जून को इन पांच सीटों पर मतदान संपन्न हुआ था, जिसके नतीजे अब आने शुरू हो गए हैं। इन चुनावों को राजनीतिक दलों के लिए काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे राज्यों में उनकी लोकप्रियता का संकेत भी मिलेगा।

केरल की नीलांबुर विधानसभा सीट पर 75.27 प्रतिशत मतदान हुआ। पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट पर 73.36 प्रतिशत वोट पड़े। गुजरात की विसावदर सीट पर 56.89 प्रतिशत और कडी सीट पर 57.91 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। वहीं पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट पर सबसे कम 51.33 प्रतिशत वोटिंग हुई। इन सीटों पर मतगणना की प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षा घेरे में चल रही है और चुनाव आयोग हर राउंड की जानकारी अपडेट कर रहा है।

उपचुनावों की जरूरत विभिन्न कारणों से पड़ी। गुजरात की कडी सीट विधायक करसन सोलंकी के निधन के बाद खाली हुई थी, जबकि विसावदर सीट पर आम आदमी पार्टी के विधायक भूपेंद्र भयानी ने इस्तीफा दिया था। केरल की नीलांबुर सीट पर विधायक पीवी अनवर ने इस्तीफा दिया, और पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन से खाली हुई थी। पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट भी विधायक नसरुद्दीन अहमद के निधन के कारण रिक्त हुई।

इन उपचुनावों के लिए अधिसूचना 26 मई को जारी की गई थी। इसके बाद नामांकन की प्रक्रिया 2 जून तक चली और 5 जून को नाम वापसी की अंतिम तारीख थी। मतदान 19 जून को हुआ और आज 24 जून को मतगणना हो रही है। इन सीटों के लिए कुल मतदाताओं ने उत्साहपूर्वक मतदान किया, जिससे यह संकेत मिला कि स्थानीय मुद्दों और राजनीतिक संतुलन को लेकर जनता सजग है।

चुनाव आयोग ने इन उपचुनावों में पहली बार एक नई पहल करते हुए मतदान केंद्रों पर ‘मोबाइल डिपॉजिट सेंटर’ की शुरुआत की। अक्सर देखा जाता था कि मतदाता मोबाइल ले जाने की मनाही के बावजूद फोन लेकर केंद्र तक पहुंचते थे, जिससे असुविधा होती थी। इसे ध्यान में रखते हुए आयोग ने वॉलंटियर्स की निगरानी में सुरक्षित मोबाइल जमा व्यवस्था शुरू की, जिसे लोगों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

अब सभी की नजर इस बात पर है कि इन उपचुनावों के परिणाम किसके पक्ष में जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह उपचुनाव आगामी बड़े चुनावों के लिए माहौल तैयार कर सकते हैं और राज्यों की सत्तारूढ़ पार्टियों की लोकप्रियता का पैमाना तय कर सकते हैं।

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