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Sunday, December 7, 2025
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भारत के पूर्वोत्तर को अस्थिर करना चाहता है बांग्लादेश: टीएमपी प्रमुख पीबीएम देबबर्मा का बड़ा बयान!

NLFT के पूर्व उग्रवादियों की बैठक में प्रद्योत का तीखा हमला, ISI और चीन की मिलीभगत पर जताई चिंता

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टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) के प्रमुख प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मा ने शुक्रवार(11अप्रैल) को बांग्लादेश के नेताओं और कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके हालिया बयानों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि वे पूर्वोत्तर भारत को एक बार फिर अशांत करना चाहते हैं।

नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) के आत्मसमर्पण कर चुके उग्रवादियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए प्रद्योत ने कहा कि भारत सरकार और राजनीतिक नेतृत्व को अब सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान की ISI और बांग्लादेश के कुछ तत्वों के बीच गठजोड़ भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है।

उन्होंने कहा, “नेताओं और भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम उन तत्वों को रोकें जो आईएसआई (इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस) के माध्यम से हिंसा को प्रायोजित करना चाहते हैं। इससे हमारे लोगों को कोई मदद नहीं मिलेगी और इसलिए हमें वह सब कुछ करना चाहिए जिससे पूर्वोत्तर के लोग शांति और सुकून के साथ जीवन जी सकें।”

टीएमपी प्रमुख ने बांग्लादेश को चेताया कि यदि वह पाकिस्तान के एजेंटों की तरह व्यवहार करता रहा, तो भारत को जवाबी रणनीति बनानी होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश आईएसआई के समर्थन से पूर्वोत्तर भारत में बेरोजगार युवाओं को भड़काकर क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है।

इससे पहले बांग्लादेश के कार्यवाहक सलाहकार मुहम्मद यूनुस की एक विवादास्पद टिप्पणी सामने आई थी, जिसमें उन्होंने भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों को “चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार” बताया था। इस बयान पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और प्रद्योत देबबर्मा सहित कई भारतीय नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

प्रद्योत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा,“प्रद्योत माणिक्य बांग्लादेश को चुनौती देते हैं कि वो पूर्वोत्तर भारत के समुद्र तक पहुंच कर दिखाएं।” उन्होंने कहा, “इंजीनियरिंग चुनौतियों पर अरबों रुपये खर्च करने के बजाय हमें बांग्लादेश को तोड़कर अपनी समुद्री पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए। चटगांव हिल ट्रैक्ट्स में जो जनजातीय समुदाय बसे हैं, वे 1947 से ही भारत के साथ रहना चाहते थे। लाखों त्रिपुरी, गारो, खासी और चकमा लोग आज भी बांग्लादेश में बुरी स्थिति में रह रहे हैं। हमें अपने राष्ट्रीय हित और उनके कल्याण के लिए इस मुद्दे का उपयोग करना चाहिए।”

यूनुस का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे चीन यात्रा के दौरान पूर्वोत्तर भारत को लैंडलॉक्ड क्षेत्र बताते हुए कहते हैं कि “बांग्लादेश इस क्षेत्र का एकमात्र समुद्री गार्जियन है।” उनकी इस टिप्पणी को भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में एक नई राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। त्रिपुरा और पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा को लेकर अब फिर से राष्ट्रीय बहस तेज हो रही है।

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