केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) अधिसूचना जारी कर दी। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की कोशिश कर रही है। हालांकि सरकार के इस फैसले का पश्चिम बंगाल सरकार, तमिलनाडु सरकार विरोध कर रही है|
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस फैसले का विरोध किया है| चूंकि केंद्र सरकार ने यह फैसला लोकसभा चुनाव से पहले लिया है, इसलिए विपक्ष आरोप लगा रहा है कि भाजपा वोट पाने के लिए यह सब कर रही है| केजरीवाल ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार पाकिस्तानियों को उनकी नौकरियाँ और घर देने की योजना बना रही है।
इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने केजरीवाल के आरोपों का जवाब दिया है| प्रसाद ने कहा, सीएए से किसी की नौकरी नहीं जायेगी| न ही किसी व्यक्ति को उसकी नागरिकता से वंचित किया जाएगा, न ही उसके घर से वंचित किया जाएगा। मूलतः मुझे समझ नहीं आता कि अरविन्द केजरीवाल का तर्क क्या है। जिन लोगों के साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अन्याय हुआ है, जिन पर अत्याचार हुआ है, वे भारत आए हैं। क्या उनका पुनर्वास करना हमारा कर्तव्य नहीं है? सीएए के साथ हम यही कर रहे हैं।’
रविशंकर प्रसाद ने कहा, मैं देश के सभी लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सीएए के कारण किसी की नागरिकता या नौकरी नहीं जाएगी| सीएए सिर्फ नागरिकता देने के लिए है| साथ ही गृह मंत्रालय पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि सीएए का भारत में मुस्लिम समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए विरोधियों को सीएए के बारे में झूठ बोलना और गलत प्रचार करना बंद कर देना चाहिए।
क्या कहा अरविंद केजरीवाल ने?: केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन बिल लागू कर पाकिस्तानियों को उनके असली घर में बसाने का काम कर रही है। सरकारी धन को देश के विकास के लिए खर्च किया जाना चाहिए। हालाँकि, वह पैसा अब तीन देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के लोगों को भारत में बसाने पर खर्च किया जाएगा। इन तीनों देशों में करीब तीन करोड़ लोग अल्पसंख्यक हैं।
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