Cabinet Meeting Decision:​​​ दे​शी​ गाय को राज्यमाता का दर्जा, चुनाव से पहले महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला!

प्राचीन काल से ही मनुष्य के दैनिक जीवन में गाय का अद्वितीय महत्व है। वैदिक काल से ही गायों के धार्मिक, वैज्ञानिक और आर्थिक महत्व को देखते हुए उन्हें कामधेनु कहा जाता है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में गायों की विभिन्न देशी नस्लें पाई जाती हैं।

Cabinet Meeting Decision:​​​ दे​शी​ गाय को राज्यमाता का दर्जा, चुनाव से पहले महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला!

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महाराष्ट्र सरकार ने देशी गायों को ​’राज्यमाता-​गौमाता​’ घोषित करने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिये​|​ इसमें महाराष्ट्र की देशी गायों को ​’राज्यमाता-​गौमाता​’ घोषित करने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई​|​​ चर्चा के बाद प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है और इस संबंध में शासनादेश या जीआर जारी कर दिया गया है​|​ सरकारी आदेश में इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी है​|​

​बता दें कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 38 फैसलों को मंजूरी दी गई| राजस्व विभाग के अंतर्गत कोतवालों का वेतन दस फीसदी बढ़ाने को मंजूरी दी गई है| साथ ही उन पर अनुकंपा नीति भी लागू की जाएगी| इसके साथ ही राज्य में सैन्य स्कूलों के लिए संशोधित नीति लागू करने को भी मंजूरी दे दी गई है| ठाणे सर्कुलर मेट्रो रेल परियोजना के काम में तेजी लाई जाएगी| इसी पृष्ठभूमि में 12 हजार 200 करोड़ की संशोधित योजना को भी मंजूरी दे दी गई है|

गायों को राज्यमाता का दर्जा देने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि दे​शी गाय हमारे किसानों के लिए वरदान है इसलिए हमने ये दर्जा देने का निर्णय लिया है और साथ में उसके संवर्धन के लिए हमने चारे का भी इंतजाम किया है| सरकार ने दे​शी गायों को पालने के लिए सब्सिडी योजना भी शुरू करेगी| आज हुई कैबिनेट बैठक में इसे भी मंजूरी दे दी गई है|

प्राचीन काल से ही मनुष्य के दैनिक जीवन में गाय का अद्वितीय महत्व है। वैदिक काल से ही गायों के धार्मिक, वैज्ञानिक और आर्थिक महत्व को देखते हुए उन्हें कामधेनु कहा जाता है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में गायों की विभिन्न देशी नस्लें पाई जाती हैं।​ मराठवाड़ा डिवीजन में देवनी, लालकंधारी, पश्चिम महाराष्ट्र में खिल्लारी, उत्तरी महाराष्ट्र में डांगी और विदर्भ में गवलौ।

​​स्वदेशी गाय की आबादी में गिरावट चिंताजनक: ​दैनिक जीवन में स्वदेशी गाय के दूध का पोषण मूल्य अधिक है। देशी गाय का दूध एक संपूर्ण भोजन है क्योंकि इसमें मानव शरीर के पोषण के लिए आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।​​ देशी गाय के दूध की मानव आहार स्थिति, आयुर्वेद चिकित्सा में पंचगवा का उपयोग तथा जैविक खेती में देशी गाय के गोबर एवं गोमूत्र के महत्व को देखते हुए देशी गायों की संख्या में कमी चिंता का विषय बनती जा रही है। अत: पशुपालकों को देशी गायों की देखभाल के लिए प्रेरित करने हेतु उन्हें ‘राज्यमाता-गोमाता’ घोषित करने का अनुमोदन किया गया है।

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