‘मराठा आंदोलन से महाराष्ट्र में हालात बॉक्स सरकार…’, सुप्रिया सुले का हमला​!

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि मराठा आरक्षण को लेकर 40 दिनों के भीतर फैसला लिया जाएगा​|​ सरकार वह आरक्षण नहीं दे सकी​| उसके बाद महाराष्ट्र में ट्रिपल इंजन बॉक्स सरकार की स्थिति बन गई है​|​ सुप्रिया सुले ने यह भी कहा कि उनके पास बक्से खरीदने का तो समय है​, लेकिन आम जनता को देखने का समय नहीं है​|​

‘मराठा आंदोलन से महाराष्ट्र में हालात बॉक्स सरकार…’, सुप्रिया सुले का हमला​!

​'Maratha movement has caused the situation in Maharashtra to box government...', Supriya Sule's attack!

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि मराठा आरक्षण को लेकर 40 दिनों के भीतर फैसला लिया जाएगा| सरकार वह आरक्षण नहीं दे सकी​| उसके बाद महाराष्ट्र में ट्रिपल इंजन बॉक्स सरकार की स्थिति बन गई है|सुप्रिया सुले ने यह भी कहा कि उनके पास बक्से खरीदने का तो समय है​, लेकिन आम जनता को देखने का समय नहीं है|

क्या कहा है सुप्रिया सुले ने?: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा था कि मराठा आरक्षण को लेकर 40 दिन में फैसला लिया जाएगा। आज जो स्थिति बनी है| ट्रिपल इंजन बॉक्स के लिए सरकार जिम्मेदार है। उनके पास बक्से लेने का समय है। लेकिन मराठा, धनगर, लिंगायत, मुस्लिम समुदाय का आरक्षण तय करने का समय नहीं है| भाजपा ने इन सभी जातियों को धोखा देने का पाप किया है। मनोज जरांगे पाटिल की तबीयत बिगड़ गई है|
ट्रिपल इंजन बॉक्स के लिए सरकार जिम्मेदार है। आज महाराष्ट्र में अस्थिरता का माहौल है|लोगों को धोखा देना, सत्ता का दुरुपयोग करना, इनकम टैक्स, सीबीआई, ईडी के माध्यम से लोगों को परेशान करने का काम किया जा रहा है। इस ट्रिपल इंजन बॉक्स सरकार के पास प्रशासन और आम जनता के लिए कोई समय नहीं है। मनोज जरांगे पाटिल की हालत बिगड़ गई है| सुप्रिया सुले ने यह भी कहा है कि इसके लिए खोखे सरकार भी जिम्मेदार है|सुप्रिया सुले ने भी मांग की है कि देवेन्द्र फडणवीस इस्तीफा दें|
देवेन्द्र फड़नवीस को इस्तीफा देना चाहिए: महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था की समस्या गंभीर हो गई है। जन प्रतिनिधियों पर हमले हो रहे हैं. उनके घर जलाये जा रहे हैं|आरक्षण को लेकर आंदोलन दिन-ब-दिन तेज होता जा रहा है|इस वक्त राज्य के गृह मंत्री को महाराष्ट्र में बैठना चाहिए, लेकिन वो छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं|इससे पहले भी जब मराठा आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज हुआ था, तब भी ये सज्जन राज्य में उपलब्ध नहीं थे|
जब नागपुर डूबा हुआ था, तब भी वह बंबई में हाईकमान की सेवा में व्यस्त थे। इस मौके पर यह उजागर हो गया कि उनका और उनकी पार्टी का रवैया राज्य की जनता के प्रति कितना उदासीन और उदासीन है| इस निकम्मे गृह मंत्री, जिन्होंने महाराष्ट्र के लोगों को अधर में छोड़ दिया है, को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री को तत्काल उनका इस्तीफा लेकर उन्हें मंत्रिमंडल से निष्कासित करना चाहिए|
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