चीन ने भारत की सीमाओं के बेहद करीब तिब्बत के न्यिंग्ची शहर में 1.2 ट्रिलियन युआन (करीब 167.8 अरब डॉलर) की लागत वाला एक महाबांध बनाने की शुरुआत कर दी है। यह बांध ब्रहमपुत्र नदी (चीन में यारलुंग जांगबो) पर बनाया जा रहा है और इसे दुनिया की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में से एक माना जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास समारोह तिब्बत के न्यिंग्ची के मैनलिंग हाइड्रोपावर स्टेशन स्थल पर आयोजित किया गया, जिसमें चीनी प्रधानमंत्री ली क्यांग भी शामिल हुए। परियोजना में पांच कैस्केड जलविद्युत स्टेशनों का निर्माण होगा, जो सालाना 300 अरब किलोवॉट-घंटे बिजली उत्पन्न करेंगे — यह 30 करोड़ लोगों की सालाना बिजली ज़रूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा।
इस परियोजना को लेकर भारत और बांग्लादेश जैसे निचले प्रवाह वाले देशों में चिंता जताई जा रही है, क्योंकि इससे चीन को जल प्रवाह नियंत्रित करने की रणनीतिक क्षमता मिल सकती है, जो संघर्ष की स्थिति में भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं को प्रभावित कर सकती है।
हालाँकि, भारत की ओर से चीन के इस कदम पर तत्काल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन इस परियोजना पर डर ना फैलाया जाए इस सन्दर्भ में आसाम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पहले ही खुलासा कर चुके है।
बता दें की, ब्रहमपुत्र नदी की केवल 30–35% जलधारा चीन से आती है, जो कि अधिकतर हिमालयी ग्लेशियरों और तिब्बत की सीमित वर्षा से उत्पन्न होती है। वहीं शेष 65–70% जलधारा भारत के भीतर उत्पन्न होती है, विशेषकर अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड और मेघालय के प्रचुर मानसून वर्षा और सहायक नदियों के ज़रिए। चीन सीमा (तुतिंग) पर 2,000–3,000 घन मीटर/सेकंड जलप्रवाह होता है, जबकी गुवाहाटी में 15,000–20,000 घन मीटर/सेकंड (मानसून में) जलप्रवाह।
उन्होंने पाकिस्तानियों को आइना दिखाकर कहा था, “अगर चीन जल प्रवाह घटाता भी है (जो कि असंभव है और उसने कभी ऐसा संकेत नहीं दिया), तो यह असम में हर साल आने वाली विनाशकारी बाढ़ को रोकने में मददगार हो सकता है।74 वर्षों तक इंडस जल संधि से लाभ उठाने वाला पाकिस्तान आज भारत के जल अधिकारों पर सवाल उठाने लगा है। ब्रहमपुत्र हमारे भूगोल, हमारे मानसून और हमारी सांस्कृतिक दृढ़ता से संचालित होती है — यह किसी एक स्रोत के अधीन नहीं है।”
What If China Stops Brahmaputra Water to India?
A Response to Pakistan’s New Scare NarrativeAfter India decisively moved away from the outdated Indus Waters Treaty, Pakistan is now spinning another manufactured threat:
“What if China stops the Brahmaputra’s water to India?”…— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) June 2, 2025
चीन की यह परियोजना भारत के अरुणाचल प्रदेश से ठीक पहले उस जगह पर बनाई जा रही है, जहां ब्रहमपुत्र नदी ‘ग्रेट बेंड’ बनाती है और यू-टर्न लेकर भारत में प्रवेश करती है। यह इलाका भूकंप संभावित क्षेत्र में आता है, जिस कारण परियोजना की संरचनात्मक सुरक्षा को लेकर भी विशेषज्ञ चिंतित हैं। हालांकि चीन ने दिसंबर 2024 में बयान जारी कर यह दावा किया था कि बांध भूकंपरोधी, पारिस्थितिकी संरक्षित और वैज्ञानिक तरीके से डिज़ाइन किया गया है।
भारत ने भी हाल के वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में ब्रहमपुत्र पर एक बड़ा बांध बनाने की योजना तेज की है। साथ ही, भारत और चीन के बीच 2006 में बने ‘एक्सपर्ट लेवल मैकेनिज्म’ के तहत हर साल बाढ़ के मौसम में हाइड्रोलॉजिकल डाटा साझा किया जाता है, जिसकी बातचीत 18 दिसंबर 2024 को एनएसए अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई थी।
ब्रहमपुत्र पर चीन की इस महा परियोजना से भले ही रणनीतिक चिंताएं हों, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि यह नदी उसकी आंतरिक जल प्रणालियों और मानसून से संचालित होती है। ब्रम्हपुत्रा का नियंत्रण किसी बाहरी ताकत के पास नहीं है। वहीं पाकिस्तान द्वारा चीन के बहाने डर फैलाने की साजिश भी अब तथ्यों और संप्रभु आत्मविश्वास के आगे बेनकाब हो चुकी है।
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