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Wednesday, December 10, 2025
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भारत के समर्थन में उतरा चीन, ट्रंप पर लगाया ‘दादागीरी’ का आरोप!

भारत और चीन की एकता से पूरे विश्व को फायदा होगा।

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अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद के बीच चीन अब खुलकर भारत के समर्थन में आ गया है। भारत में चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने शुक्रवार (22 अगस्त) को एक कार्यक्रम में कहा कि अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाना टैरिफ को सौदेबाजी का हथियार बनाना है। चीन ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए अमेरिका पर दादागीरी करने का आरोप लगाया। फेइहोंग ने कहा, “अमेरिका ने लंबे समय तक मुक्त व्यापार से फायदा उठाया है, लेकिन अब वह टैरिफ को सौदेबाजी का हथियार बना रहा है। ऐसी हरकतों के सामने खामोश रहना, धौंस जमाने वालों का हौसला बढ़ाता है।” उन्होंने साफ किया कि चीन बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को बचाने के लिए भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।

चिन्तन रिसर्च फाउंडेशन (CRF) के एक कार्यक्रम में चीनी राजदूत ने भारत और चीन को एशिया में आर्थिक विकास का ‘डबल इंजन’ बताया। उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है और ऐसे समय में भारत और चीन जैसे बड़े विकासशील देशों को एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। फेइहोंग ने कहा, “भारत और चीन की एकता से पूरे विश्व को फायदा होगा। हमारी जिम्मेदारी है कि हम बहुध्रुवीय और संतुलित व्यवस्था को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएं।”

राजदूत ने भरोसा दिलाया कि चीन अपने बाजार में भारतीय वस्तुओं का स्वागत करेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को आपसी रणनीतिक विश्वास मजबूत करना चाहिए और संदेह से बचना चाहिए। “भारत और चीन साझेदार देश हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं। हमें बातचीत के जरिए मतभेदों को सुलझाना होगा,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे बताया कि भारत को आईटी, सॉफ्टवेयर और बायो मेडिसिन जैसे क्षेत्रों में बढ़त हासिल है, जबकि चीन इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और न्यू एनर्जी सेक्टर में तेजी से विस्तार कर रहा है। अगर दोनों बाजार जुड़ते हैं तो इसका असर एक और एक ग्यारह जैसा होगा।

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी, जिसके बाद चीनी राजदूत से यह टिपण्णी सामने आयी है। इस साल के अंत में पीएम मोदी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) की बैठक के लिए चीन का दौरा करने वाले हैं। जानकारों का मानना है कि इन बैठकों से भारत-चीन संबंधों में नई गति आ सकती है।

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