चीन ने बुधवार (25 सितंबर) को प्रशांत महासागर में 1989 के बाद सफलतापूर्वक आंतरमहाद्वीपीय मिसाइल का परिक्षण किया है। प्रशांत महासागर में इस परिक्षण से दक्षिणी चीनी सागर में चीन से संघर्ष करने वाले अमेरिका, जापान, ताईवान और फिलीपीन को चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
बता दें की, वर्ष 1989 के बाद पहली बार चीन ने वायुमंडलीय परिक्षण किया है। जब की आंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का पहला परीक्षण चीन ने वर्ष 1980 में किया था। 1989 से चीन ने वायुमंडल और सागरों परमाणु परिक्षण न करते हुए भूमिगत रूप से किए है। लेकिन इस बार आंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल- ICBM) के बाद चीन से संघर्ष में जुडे देशों को जांघ पर हाथ मार कर चुनौती दी गई है ऐसा विरोधकों का कहना है।
हालांकि, चीन ने इस परिक्षण को वार्षिक प्रशिक्षण योजना का हिस्सा बताया है। साथ ही कहा है की इस परिक्षण को किसी विशेष देश की ओर लक्षित नहीं किया गया था, जिससे की भय का माहौल पैदा न हों। चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है, चीन ने केवल हथियार परिक्षण और सैन्य प्रशिक्षण के प्रभाव का अभ्यास किया है। चीन परमाणु हथियारों के संदर्भ में नो फर्स्ट यूज पॉलिसी का इस्तेमाल करता है। फिर भी इस प्रशिक्षण के बाद आंतरराष्ट्रिय स्टार पर चिंता का माहौल निर्माण होना तय है।
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पेंटागन के अनुसार चीन भूमि-आधारित इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) के लिए सैंकड़ों गुप्त मिसाइलें बना रहा है। वहीं मीडिया ने 500 से अधिक परमाणु मिसाइल होने, जिनमें 350 से अधिक इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) जबकि वर्ष 2030 तक चीन के पास 1000 परमाणु हथियार होने की बात की है।