इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अटॉर्नी जनरल गाली बहारव-मीआरा के बीच घरेलू सुरक्षा एजेंसी शिन बेत के प्रमुख रोनन बार को हटाने को लेकर विवाद गहरा गया है। इस मुद्दे ने सरकार और न्यायपालिका के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। अटॉर्नी जनरल ने नेतन्याहू को इस पर किसी भी तरह की कारवाई से रोकने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके पहले, इजरायल के उच्च न्यायालय ने बार की बर्खास्तगी के फैसले पर अस्थायी रोक लगाई थी।
बहारव-मीआरा ने स्पष्ट किया, “फिलहाल शिन बेत प्रमुख की नियुक्ति या बर्खास्तगी पर कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा।” इसके साथ ही उन्होंने इस पद के लिए किसी भी तरह की नियुक्ति प्रक्रिया या साक्षात्कार पर भी रोक लगा दी है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस निर्देश को खारिज करते हुए कहा कि सरकार को सुरक्षा से जुड़े मामलों पर निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। उनके कार्यालय ने बयान जारी कर कहा, “इजरायल में कानून का राज है, और कानून के अनुसार सरकार तय करती है कि शिन बेत का प्रमुख कौन होगा। इसे लेकर किसी भी तरह का टकराव नहीं होना चाहिए।”
शुक्रवार(21 मार्च) को उच्च न्यायालय ने बार की बर्खास्तगी पर रोक लगाते हुए मामला लंबित रखा। नेतन्याहू के इस फैसले को लेकर विपक्षी दलों ने अदालत में याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि प्रधानमंत्री व्यक्तिगत कारणों से बार को हटाना चाहते हैं। विपक्षी दलों का मानना है कि नेतन्याहू सरकार की सुरक्षा नीतियों की जांच को लेकर शिन बेत से नाराज हैं, और इसी वजह से वे बार को पद से हटाना चाहते हैं।
रोनन बार का कार्यकाल पहले 20 अप्रैल को समाप्त होने वाला था, लेकिन कैबिनेट ने इसे घटाकर 10 अप्रैल कर दिया। हालांकि, अधिकारियों ने संकेत दिया है कि यदि नया प्रमुख जल्द नियुक्त किया जाता है, तो वे पहले भी पद छोड़ सकते हैं।
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नेतन्याहू और बार के बीच विवाद हमास-इजरायल युद्ध के बाद और बढ़ गया, जब शिन बेत ने सरकार के युद्धकालीन निर्णयों की समीक्षा की और “कतर-गेट” मामले को उजागर किया। यह मामला नेतन्याहू के सहयोगियों और कतरी अधिकारियों के बीच गुप्त वार्ताओं से जुड़ा हुआ है। इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेतन्याहू कैबिनेट ने रविवार को अटॉर्नी जनरल गाली बहारव-मीआरा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने का निर्णय लिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव लगातार बढ़ रहा है।