“सेक्युलर राहुल का हिन्दू प्रेम जागा” लिख डाला 2 पेज का लेख, आप भी पढ़िए
राहुल गांधी द्वारा "सत्यम शिवम सुंदरम" लिखा दो पेज का लेख है। जिसमें हिन्दू धर्म, भय, उल्लास जैसे शब्दों का उपयोग किया गया है।
Team News Danka
Updated: Sun 01st October 2023, 07:04 PM
कांग्रेस नेता राहुल गांधी आजकल हिन्दू धर्म खूब प्रवचन दे रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार को कांग्रेस के एक्स हैंडल एक पोस्ट किया गया है जिसमें राहुल गांधी द्वारा “सत्यम शिवम सुंदरम” लिखा दो पेज का लेख है। जिसमें हिन्दू धर्म, भय, उल्लास जैसे शब्दों का उपयोग किया गया है। यह लेख हिंदी और अंग्रेजी दोनों में है। कहा जा रहा है कि यह लेख हिन्दू विचारधारा उससे निहित करुणा प्रेम त्याग और दया को रेखांकित किया गया है। इस पर, यूजर्स भी कमेंट कर रहे हैं एक यूजर्स ने लिखा है मुंह में राम बगल में छुरी। इसके अलावा उनके सपोर्ट में भी कुछ कमेंट हैं। बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद से राहुल गांधी भगवा रंग में रंगने लगे हैं। अब कांग्रेसी नेता भगवान राम, बजरंगबली और खुद राहुल गांधी खुद को जन्मजात ब्राह्मण बताते फिरते हैं। कांग्रेस में इन दस सालों में सेक्युलर से हिंदूवादी हो गई है।
तो राहुल गांधी ने इसमें लिखा है कि “सत्यम शिवम् सुन्दरम” …. शुरू में लिखा गया है कि कल्पना कीजिये, जिंदगी प्रेम और उल्लास का, भूख और भय का महासागर हैऔर हम उसमें तैर रहे हैं। इसकी खूबसूरत और भयावह, शक्तिशाली और सतत परिवर्तनशील लहरों के बीचोबीच, हम जीने का प्रयत्न करते हैं। इस महासागर में जहां प्रेम उल्लास और अथाह आनंद है,वहीं भय भी है। मृत्यु का भय, भूख भय, दुखों का भय, लाभ हानि का भय, भीड़ में खो जाने का भय और असफल होने का भय। इस महासागर में सामूहिक और निरंतर यात्रा नाम जीवन है। जिसकी भयावह गहराइयों में हम सब तैरते हैं। भयावह इसलिए, क्योंकि इस महासागर से आजतक न कोई बच पाया है और न कोई बच पाएगा। …
आगे राहुल गांधी लिखते है कि एक हिन्दू में अपने भय को गहनता में देखने और उसे स्वीकार करने का साहस होता है। जीवन की यात्रा में वह भयरूपी शत्रु को मित्र में बदलना सीखता है। भय उस पर कभी भी हावी नहीं हो पता, वरन घनिष्ठ सखा बनकर उसे आगे की राह दिखाता है। एक हिन्दू का आत्म इतना कमजोर नहीं होता कि वह अपने भय के वश में आकर किसी किस्म के क्रोध, घृणा या प्रतिहिंसा का माध्यम बन जाए।
लेख में आगे लिखा गया है कि हिन्दू सभी प्राणियों से प्रेम करता है। वह जनता है कि इस महासागर में तैरने से सबके अपने अपने रास्ते और तरीके हैं। सबको अपनी राह पर चलने का अधिकार है। वह सभी रास्तों से प्रेम करता है, सबका आदर करता है और उनकी उपस्थिति को बिल्कु, अपना मानकर स्वीकार करता है।”