अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की व्हाइट हाउस में हुई लंच मीटिंग को लेकर कांग्रेस ने बुधवार को केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। पार्टी ने आरोप लगाया कि इस घटनाक्रम ने भारतीय कूटनीति की कमजोर स्थिति को उजागर कर दिया है, जबकि प्रधानमंत्री पूरी तरह से मौन हैं।
कांग्रेस के महासचिव (संचार प्रभारी)कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “… असीम मुनीर ने आग लगाने का जो बयान दिया था, उसका सीधा संबंध 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले से है। आज इसी व्यक्ति(असीम मुनीर) को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ भोजन करने का विशेष निमंत्रण मिला है… हमारा प्रतिनिधिमंडल तो केवल उपराष्ट्रपति से मिल सकता था लेकिन असीम मुनीर राष्ट्रपति से मिले हैं… आज खबर आई है कि प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 35 मिनट तक फोन पर बात हुई… राष्ट्रपति ट्रंप ने बातचीत के बारे में जो कहा और हमें जो कहा गया, उसमें जमीन आसमान का फर्क है… प्रधानमंत्री मोदी आप एक सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाते है? आप(प्रधानमंत्री मोदी) विपक्ष को क्यों नहीं बुलाते हैं?.. आप सर्वदलीय बैठक में कहिए कि उनसे(अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप) क्या बात हुई?..”
उन्होंने पूछा कि क्या इसी कारण राष्ट्रपति ट्रंप ने जी-7 शिखर सम्मेलन को एक दिन पहले छोड़ दिया और प्रधानमंत्री मोदी को “वह बड़ा आलिंगन” नहीं दिया जिसकी अपेक्षा की जा रही थी? जयराम रमेश ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप खुद अब तक 14 बार यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम करवाया, यानी उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर को समाप्त कराया”। कांग्रेस नेता के अनुसार, यह दावा भारत की रणनीतिक स्थिति को कमजोर करने की कोशिश है और इसका प्रधानमंत्री मोदी ने कोई जवाब नहीं दिया है।
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को “आतंकवाद के खिलाफ बेहतरीन साझेदार” बताया है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री विदेश नीति पर लगातार चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि देश को जवाब चाहिए।
कांग्रेस ने यह भी कहा कि अमेरिका की ओर से लगातार ऐसे बयान आ रहे हैं जो यह संकेत देते हैं कि वह भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौल रहा है। पार्टी ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वह अपनी हठधर्मिता छोड़कर इस विषय पर सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाएं, ताकि देश को भरोसे में लिया जा सके।
इस पूरे घटनाक्रम से एक ओर जहां भारत‑अमेरिका संबंधों की जटिलता उजागर होती है, वहीं विपक्ष यह सवाल भी उठा रहा है कि वैश्विक मंचों पर भारत की प्रतिष्ठा को चोट क्यों लग रही है और इसका जवाब सरकार क्यों नहीं दे रही है।
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