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Sunday, July 13, 2025
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भारत ने कभी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया

पीएम मोदी की डोनाल्ड ट्रंप को दो टूक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर हुई 35 मिनट की बातचीत में साफ कर दिया कि भारत‑पाकिस्तान संघर्ष विराम या किसी भी सुरक्षा मसले पर वाशिंगटन की मध्यस्थता की भूमिका नहीं रही है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को मीडिया को यह जानकारी दी।

मिस्री के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने जी‑20 कनाडा शिखर सम्मेलन के इतर निर्धारित मुलाक़ात रद्द होने के बाद स्वयं पहल करते हुए प्रधानमंत्री मोदी से संवाद किया। चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने दो‑टूक कहा, “भारत ने कभी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है और भविष्य में भी ऐसी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा।”

सुरक्षा हालात पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले और इसके जवाब में चल रहे सैन्य अभियान की भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने राष्ट्रपति को याद दिलाया, “22 अप्रैल के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने का अपना दृढ़ संकल्प पूरी दुनिया को बता दिया था।”

मोदी ने आगे जोड़ा, “6‑7 मई की रात को भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सिर्फ आतंकी ठिकानों को ही निशाना बनाया था।” विदेश सचिव ने बताया कि अमेरिकी पक्ष को यह भी स्पष्ट किया गया कि “सैन्य कार्रवाई रोकने की बात सीधे भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी… पाकिस्तान के ही आग्रह पर ये बातचीत हुई थी।”

विदेश सचिव ने खुलासा किया कि 9 मई की रात अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर आशंका जताई थी कि “पाकिस्तान भारत पर बड़ा हमला कर सकता है।” इस पर भारतीय नेतृत्व ने दो‑टूक जवाब दिया, “यदि ऐसा होता है तो भारत पाकिस्तान को उससे भी बड़ा जवाब देगा।” 9‑10 मई की रात भारत ने कथित पाकिस्तानी हमले का “बहुत सशक्त जवाब” दिया और दुश्मन को “भारी नुकसान” पहुँचाया।

प्रधानमंत्री ने ट्रंप से कहा कि “भारत अब आतंकवाद को प्रॉक्सी वार नहीं, युद्ध के रूप में ही देखता है और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी है।” अमेरिकी राष्ट्रपति ने इन बिंदुओं को “ध्यानपूर्वक सुना” और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को अपना समर्थन दोहराया।

वार्ता के अंत में राष्ट्रपति ट्रंप ने लौटते समय भारत होकर जाने की इच्छा जताई, पर प्रधानमंत्री के पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के चलते यह संभव न हो सका। दोनों पक्ष “निकट भविष्य” में प्रत्यक्ष मुलाक़ात पर सहमत हुए हैं।

बातचीत से यह स्पष्ट हो गया कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी की नींव आपसी सम्मान और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग पर टिकी हुई है। नई दिल्ली ने तीसरे पक्ष की किसी भी मध्यस्थता को सिरे से खारिज करते हुए यह साफ कर दिया कि द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत केवल उन्हीं मंचों पर होगी जिन्हें भारत स्वीकार करता है। क्वाड समूह से लेकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक, भारत अपनी सुरक्षा पहलों में सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

लगभग आधे घंटे की इस तीखी‑परंतु‑सौहार्द्रपूर्ण वार्ता ने जाहिर किया कि वैश्विक कूटनीति में नई दिल्ली मौलिक हितों पर कोई समझौता नहीं करेगी, जबकि वॉशिंगटन भी क्षेत्रीय स्थिरता में भारत की पहली पंक्ति की भूमिका को स्वीकार करता दिखा।

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