भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य इस्लामी आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है। लेकीन उन्होंने इस इस्लामी जिहादी हमले का मुद्दा बनाने से परहेज किया दीखता है। पार्टी ने मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और आतंकवाद से निपटने के लिए आम सहमति बनाकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।
भाकपा संसदीय दल कार्यालय की ओर से शुक्रवार को जारी बयान के अनुसार, सीपीआई नेता पी. संतोष कुमार ने कहा है कि सरकार को आतंकवाद से अत्यंत गंभीरता से निपटना चाहिए, वैश्विक राय को जुटाकर और पूरे देश को विश्वास में लेकर इसके प्रायोजकों को कूटनीतिक और वित्तीय रूप से अलग-थलग करने के लिए निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए। आतंकवाद हिंदू-मुस्लिम मुद्दा नहीं है, इससे आम सहमति बनाकर निपटा जाना चाहिए।
भाकपा ने पहलगाम हमले के इर्द-गिर्द सुरक्षा और खुफिया चूक के बारे में भी चिंता जताई। पी. संतोष कुमार ने पूछा, “श्रीनगर से मात्र 100 किलोमीटर दूर एक संवेदनशील स्थल पर लगभग एक हजार पर्यटकों को कैसे जाने दिया गया?” पार्टी ने मीडिया के कुछ वर्गों और दक्षिणपंथी ताकतों द्वारा इस त्रासदी को सांप्रदायिक रंग देने के प्रयासों की भी निंदा की।
उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी सांप्रदायिक उकसावे को रोकने के लिए तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए। भाकपा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है और केंद्र सरकार से समावेशी, जिम्मेदार और प्रभावी कदम उठाने का आग्रह करती है।”
बता दें की जम्मू कश्मीर के पहलगाम के बैसरन की घाटियों में छुट्टियां मनाने वाले पर्यटकों में हिंदू पुरुषों को चुनचुनकर क़त्ल किया था, जिसके बाद वामपंथी पार्टी की ओर से यह बयान आया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम चेतावनी भी जारी की थी। वहीं वामपंथी पार्टी इस मुद्दे को गैर सांप्रदायिक दिखाकर मुस्लिम कट्टरपंथ पर पर्दा डालते हुए दिखती है, जो की पूर्णतः वामपंथी लाइन से भटकी हुई सोच है।
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