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Monday, July 14, 2025
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राजनीति में फैसले अपने-पराये नहीं, सिद्धांतों के आधार पर होते: जेपी नड्डा!

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, "पहले की सरकारों ने सभी क्षेत्रों में उदासीनता दिखाई। स्वास्थ्य क्षेत्र पूरी तरह उपेक्षित रहा। इसी कारण दिल्ली के लोगों को भारी तकलीफों का सामना करना पड़ा।"

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केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने स्वास्थ्य क्षेत्र में दिल्ली सरकार के कार्यों की प्रशंसा की है। जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ रविवार को लगभग 1,400 नर्सों को नियुक्ति पत्र सौंपे। जेपी नड्डा ने आयुष्मान भारत के लिए पंजीकरण वैनों को भी रवाना किया। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने पिछली सरकारों पर गंभीर आरोप लगाए।

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, “पहले की सरकारों ने सभी क्षेत्रों में उदासीनता दिखाई। स्वास्थ्य क्षेत्र पूरी तरह उपेक्षित रहा। इसी कारण दिल्ली के लोगों को भारी तकलीफों का सामना करना पड़ा।”

उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत मिशन के तहत 1700 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को दिए थे। 2021 से लेकर फरवरी 2025 तक एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया। नड्डा ने कहा कि अब रेखा गुप्ता के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि उन्हें 8 महीने के अंदर 1700 करोड़ रुपये दिल्ली में जनता के स्वास्थ्य पर खर्च करने हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “राजनीति में फैसले अपने-पराये के आधार पर नहीं होते, बल्कि इस पर होते हैं कि कौन आपके हितों की रक्षा कर सकता है।”

दिल्ली की जनता को संबोधित करते हुए जेपी नड्डा ने कहा, “सितंबर 2017 से पीएम मोदी 40 लाख गरीब दिल्लीवासियों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज देने को तैयार थे, लेकिन आपने लोटा ही उल्टा किया हुआ था। 20 फरवरी को आपने लोटा सीधा किया और आज आपको आयुष्मान भारत मिल गया।”

उन्होंने पिछली सरकारों पर तंज कसते हुए कहा, “सही आदमी को सही जगह पर रखने और गलत व्यक्ति को सही जगह बैठाने से क्या फर्क पड़ता है, वो समझाता हूं।

1997 में एक हेल्थ पॉलिसी लाई गई, जो कहती थी – ‘पहले तुम बीमार बनो, फिर मैं तुम्हारा इलाज करुंगी।’ लेकिन 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उनके नेतृत्व में पूरे देश में परामर्श किया गया और 2017 में हम एक नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति लेकर आए।
इसके अंतर्गत हम प्रिवेंट करेंगे कि बीमारी ही न हो, फिर अच्छे हेल्थ को हम प्रमोट करेंगे ताकि वो स्वस्थ रहे, फिर जरूरत होगी तो इलाज करेंगे। हमने हेल्थ को अब समावेशी और व्यापक बनाया है।”

जेपी नड्डा ने इस दौरान भारत में टीबी के मामलों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टीबी के मामलों में करीब 17.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह गिरावट मात्र 8 प्रतिशत रही है।”

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