राज्य सरकार द्वारा मराठवाड़ा के मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए गुरुवार को एक सरकारी निर्णय जारी करने के बाद भी आंदोलनकारी मनोज जारांगे-पाटिल ने अपनी भूख हड़ताल बंद करने से इनकार कर दिया, जिन्हें निज़ाम काल के दौरान ‘कुनबी’ के रूप में दर्ज किया गया था। यह स्पष्ट करते हुए कि वह मराठा समुदाय को एकमुश्त कुनबी प्रमाण पत्र देने की मांग पर कायम हैं, मराठा आरक्षण पर कार्रवाई जारी है क्योंकि जरांगे ने अपना अनशन जारी रखा है। इस बीच जालना में पथराव और लाठीचार्ज की घटना पर दीपक केसरकर ने प्रतिक्रिया दी है|
दीपक केसरकर ने कहा, ”पूरे भारत में मराठा समाज जितना गहरा कोई समाज नहीं है| लाखों लोगों ने मार्च किया, लेकिन सच तो यह है कि एक भी पत्थर नहीं उठाया गया। यह भूख हड़ताल करने वालों के स्वास्थ्य को नुकसान से बचाने के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने तक ही सीमित था। उन्हें रात में अस्पताल में भर्ती कराने को कहा गया|
उन्होंने कहा कि उन्हें कल दोपहर अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा| अगले दिन जब प्रशासन के अधिकारी मनोज जरांगे को अस्पताल में भर्ती कराने गए तो मराठा समुदाय ने पथराव नहीं किया, किसी और ने वहां आकर पथराव किया| तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया| इसलिए संभावना है कि यह एक साजिश है|
उन्होंने कहा, ”अगर 25-30 पत्थर फेंके जाएंगे तो पुलिस लाठीचार्ज करेगी| पुलिस द्वारा पिटाई किये जाने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गयी| केसरकर ने यह भी कहा कि इसका भी राजनीतिकरण करने की कोशिश की गई| हम जरांगे पाटिल के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हैं। यही अहसास था, इसलिए उन्हें अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा गया| उनकी एक किडनी कमजोर है और उसकी देखभाल की जरूरत है। छोटी उम्र से ही उन्होंने सामाजिक कार्य किए हैं, कई आंदोलन किए हैं, एक अच्छे कार्यकर्ता हैं। भावना यह है कि उनके स्वास्थ्य को कुछ भी नहीं होना चाहिए।
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